राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2021 में भारत में आत्महत्या करने वाले लोगों में सबसे अधिक दिहाड़ी मजदूर, स्वरोजगार और बेरोजगार लोग शामिल थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आयी है कि साल 2021 में आत्महत्या से मरने वाले कुल 1,18,970 पुरुषों में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 37,751 थी, जो खुदकुशी करने वाले लोगों में सबसे अधिक है तथा 18,803 स्वरोजगार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोजगार खुदकुशी करने वालों में थे।
सपनों के शहर या मौत का कारण..?
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रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2021 के दौरान देश में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें सबसे ज्यादा पुरुष (1,18,970) और महिलाएं (45,026) थीं। वहीं दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु भारत के शीर्ष शहर हैं, जहां युवा बेहतर नौकरी के अवसर और आजीविका की तलाश में आते हैं। कुछ युवाओं के लिए ये ऐसे शहर हैं, जहां वो अपने सपने पूरे करते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यही शहर किसी बुरे और डरावने सपने जैसा होता है। शहरी जीवन के दबाव के आगे वो अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं।
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हर साल 1,00,000 से अधिक लोग करते हैं सुसाइड
एनसीआरबी के अनुसार, भारत में हर साल 1,00,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शीर्ष महानगर देश के 50 से अधिक शहरों में बेरोजगारी, करियर और रिश्तों को लेकर आत्महत्या के केंद्र हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल बेरोजगारी के चलते दिल्ली में 283, मुंबई में 156, चेन्नई में 111 और बेंगलुरु में 96 लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें से कई की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। इसी तरह करियर के मामलों में 2021 में पुणे में 79 और बेंगलुरु में 74 आत्महत्याएं हुईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के दिनों में और खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई काफी बढ़ी है। गरीब पहले से ज्यादा गरीब हो गया है जबकि अमीरों की संपत्ति कई गुना बढ़ गई। विभिन्न आधिकारिक और गैर-आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में अधिकांश परिवारों की आय में काफी कमी आई है और वे गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।