Monsoon Session 2025: मोदी सरकार ला सकती है 8 नए बिल, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव भी एजेंडे में

Author Picture
By Dileep MishraPublished On: July 15, 2025
पार्लियामेंट

Monsoon Session 2025: 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में केंद्र की मोदी सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों के साथ कानून-निर्माण प्रक्रिया को गति देने की तैयारी में है। इस सत्र में कम-से-कम आठ नए विधेयक पेश किए जा सकते हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक विषयों से जुड़े कानून शामिल होंगे। साथ ही, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव इस सत्र के सबसे चर्चित मुद्दों में से एक हो सकता है।

राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव लाने की तैयारी

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को आगे बढ़ाने के लिए सरकार संसद में प्रस्ताव ला सकती है। मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, और संविधान के मुताबिक, इसे हर छह महीने में संसद की मंजूरी से आगे बढ़ाया जाना जरूरी होता है। मौजूदा अवधि 13 अगस्त को समाप्त हो रही है, ऐसे में मानसून सत्र में इसका अनुमोदन जरूरी होगा।

Monsoon Session 2025: मोदी सरकार ला सकती है 8 नए बिल, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव भी एजेंडे में

सरकार के इस कदम को संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि मणिपुर की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए फिलहाल वहां चुनाव कराकर लोकतांत्रिक शासन बहाल करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। इसके साथ ही, मणिपुर की अनुदान मांगों से संबंधित विनियोग विधेयक भी संसद में लाया जाएगा, जो राज्य के वित्तीय प्रबंधन से जुड़ा है।

कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर रहेगी नजर

सरकार के एजेंडे में जो आठ नए विधेयक हैं, उनमें से प्रमुख हैं- मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025 ,भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025, कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2025, खनिज एवं खनन (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025, आयकर विधेयक 2025 -जो पहले ही प्रवर समिति को भेजा जा चुका है और सत्र के दौरान उसकी रिपोर्ट आने की संभावना है। इन विधेयकों का उद्देश्य न केवल मौजूदा नीतियों में सुधार करना है, बल्कि शासन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना भी है।

विशेष रूप से आयकर विधेयक 2025 को लेकर उत्सुकता बनी हुई है, क्योंकि यह प्रत्यक्ष कर प्रणाली में बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है। इसे 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था।

लंबित विधेयकों को भी मिलेगा स्थान

मानसून सत्र में सरकार 16 विधेयकों को पारित कराने की योजना बना रही है, जिनमें से 6 विधेयक पहले से ही लोकसभा और राज्यसभा में लंबित हैं। तीन विधेयक लोकसभा में पारित हो चुके हैं और राज्यसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, वहीं तीन विधेयक लोकसभा में पेश हो चुके हैं, लेकिन पारित नहीं हुए हैं। जिसमें मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, तटीय नौवहन विधेयक 2025, लोडिंग बिल विधेयक 2025 शामिल हैं। ये विधेयक भारत के समुद्री क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों को आधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से लाए जा रहे हैं।

सत्र में उठ सकते हैं संवेदनशील राजनीतिक मुद्दे भी

जहां मानसून सत्र में विधायी कामकाज पर जोर रहेगा, वहीं कुछ गंभीर राजनीतिक और संवेदनशील मुद्दों पर भी बहस की संभावना है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा के साथ बिहार में हो रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर हंगामा होने के आसार हैं। इसके साथ ही अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा की उम्मीद है। इन घटनाक्रमों को लेकर विपक्ष सत्र के दौरान सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है।

सरकार का एजेंडा स्पष्ट, विपक्ष की रणनीति पर निगाहें

मानसून सत्र 2025 में मोदी सरकार का रुख स्पष्ट रूप से कानून निर्माण और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाने का है। लेकिन विपक्ष मणिपुर की संवेदनशील स्थिति, न्यायपालिका से जुड़े विवादों और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को जोरशोर से उठाने की रणनीति बना सकता है। अब देखना होगा कि यह सत्र संसद के इतिहास में उत्पादक साबित होता है या फिर टकराव और स्थगनों से प्रभावित रहता है। लेकिन इतना तय है कि 21 जुलाई से शुरू हो रहा मानसून सत्र राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम और संवेदनशील होने वाला है।