मध्यप्रदेश के सभी शासकीय एवं अनुदान प्राप्त प्राथमिक, माध्यमिक तथा कक्षा 1 से 8 तक की संयुक्त शालाओं में 29 अगस्त को शाला प्रबंधन समितियों (एसएमसी) का गठन किया जाएगा। इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत बनने वाली इन समितियों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। समितियों पर बच्चों के नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने, विद्यालयी संसाधनों की देखरेख करने तथा विद्यार्थियों के समग्र विकास की जिम्मेदारी होगी।
प्रत्येक समिति में 14 पालक प्रतिनिधि, प्रधान शिक्षक, एक वरिष्ठ महिला शिक्षिका तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन विद्यार्थियों के पालकों में से किया जाएगा, जबकि प्रधान शिक्षक सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे।
प्रदेश के लगभग 83 हजार विद्यालयों में इन समितियों का गठन एक ही दिन, 29 अगस्त को होगा। विद्यालय शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के अभिभावकों से आग्रह किया है कि वे निर्धारित तिथि पर विद्यालय पहुँचकर समितियों से सक्रिय रूप से जुड़ें और शालाओं के विकास कार्यों में सहयोग दें।
एसएमसी के कार्य
- नामांकन व उपस्थिति सुनिश्चित करना – अधिक से अधिक बच्चों का स्कूल में नामांकन और उनकी नियमित उपस्थिति पर निगरानी रखना।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा – पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान देना और बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना।
- विद्यालयीय संसाधन व सुविधाएं – स्कूल में भवन, फर्नीचर, पेयजल, शौचालय आदि सुविधाओं की देखरेख करना।
- बजट व व्यय की निगरानी – स्कूल को मिलने वाली राशि के उपयोग पर पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखना।
- समग्र विकास – खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और सह-पाठ्यचर्या कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना।
- अभिभावक-शिक्षक सहभागिता – अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद स्थापित करना तथा सामूहिक निर्णय लेना।
- समस्या समाधान – विद्यालय में उत्पन्न किसी भी शैक्षणिक या संसाधन संबंधी समस्या का समाधान ढूँढना।