आस्था का केंद्र और जग प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल (baba mahakal) का धाम लाखों-करोड़ों भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। मंदिर में हर दिन बाबा महाकाल का अलग अलग तरीके से विशेष पूजन और पाठ होता है। बाबा का खास ध्यान मंदिर के कर्मठ पुजारियों द्धारा रखा जाता है। मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि जगत पिता शंकर को शीतलता प्रदान की जा रही है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं, जिन्होंने विष को ग्रहण किया। जहर में जलन ज्यादा है, इसलिए उनका वास भी (kailash) कैलाश में है। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए ये वैशाख (vaishakh) और ज्येष्ठ (jayeshth) माह ऐसे होते हैं, जिसमें असहनीय गर्मी होती है। इस गर्मी से भगवान को शांत रखने के लिए महाकाल बाबा के शीश पर 11 मटकी की जलधारा अर्पित की जाती है। ये क्रम 2 महीने तक रहेगा। शिव (shiva) को जलधारा प्रिय भी है वे इन दो महीनों में भक्तों को प्रसन्न होकर वरदान भी देते हैं।
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जानिए महत्व और 11 पवित्र नदियों के विषय में विस्तार से।
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पहले एक मटकी बांधी जाती थी अब 11 जिसका क्रम है-
गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, गौदावरी, नर्मदा, कावेरी, शरयू महेंद्रतनया शर्मण्वती वेदिका।
क्षिप्रा वेत्रवती महासुर नदी, ख्याता गया गंडकी पूर्णा पूर्ण जलैः समुद्र सरिता, कुर्यातसदा मंगलम।।
से अभिप्राय सभी पवित्र तीर्थों का जल भगवान शंकर को चढ़ाया जाए, जिससे सबका कल्याण हो और भगवान को ठंडक मिले। वहीं पंचांगीय गणना के मुताबिक शुक्रवार से वैशाख मास का आगाज हो गया है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गलंतिका बांधी गई। वैशाख मास में शिप्रा स्नान का एक अलग ही महत्व है। तमाम शिव भक्त वैशाख प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक महीने शिप्रा स्नान करेंगे। वैशाख में कल्पवास का विशेष महत्व है। अनेक साधु-संत उज्जैन में शिप्रा तट पर कल्पवास करने के लिए उज्जैन पहुंच गए हैं।
जानिए ज्योतिष द्धारा इस स्नान का महत्व !
एक विख्यात ज्योतिष ने बताया कि उत्तर वाहिनी शिप्रा नदी में स्नान करने से ज्वर रोग का नाश होता है। स्कंद पुराण के अवंतिखंड में इसका जिक्र भी किया गया है। जो श्रद्धालु वैशाख मास के उपरांत स्नान नहीं कर सकते हैं, तो वे वैशाख के आखिरी पांच दिन भी शिप्रा स्नान कर लें तो पूरे माह स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है।