“कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

Author Picture
By Deepak MeenaPublished On: June 2, 2023

इंदौर: “कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है।” विश्व प्रसिद्ध आर्टिस्ट अल्बर्टो जियाओमेट्टी के उपरोक्त कथन को साकार करने के लिए हर साल की तरह इंटरनेशनल फ़ाइन आर्ट एकेडमी ने देवलालिकर कला वीथिका में अपने छात्रों की कला प्रदर्शित कर रही है।

"कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

दिनांक 2 जून से 4 जून समय 11.00 बजे से 8.00 बजे तक रहेगा। यह केवल एक प्रदर्शनी नहीं है, यह छात्रों की आशा, जुनून और कौशल को दिखाता है।

"कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

यह भविष्य के कलाकार हैं, एक आने वाले भारतीय युवा जो पोर्ट्रेट ,लाइफ ड्राइंग,लैंडस्केप,स्टिल लाइफ जैसी और अनेक कला को पेश कर रहे हैं। इंटरनेशनल फ़ाइन आर्ट अकादमी केवल छात्रों को पढ़ा नहीं रहा है, वह अपने छात्रों को भविष्य का एक महान कलाकार बना रहा है जो दुनिया में एक कलाकार के रूप में स्वयं का प्रतिनिधित्व करेंगे।

"कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

ईशा शंखपाल बी एफ ए थर्ड ईयर स्टूडेंट अपने विचारो को आयल पेंटिंग से कैनवास पर पेंटिंग करना बखूबी जानती है ,उनका काम वातावरण के लाइट , शैडो और मानव इमोशंस दर्शाता है ,जो काफ़ी आकर्षित है। हेमेंद्र कच्छवाहे बी एफ ए अपने चित्रों में पौराणिक कथाएं जैसे ईश्वर के प्रति आस्था , मंदिर में बनी पुराणी खंडित मूर्तिया एवं अपूर्ण मूर्तियों को अपने विचारो के अनुसार पूर्ण करने की कोशिश कर उन्हें नया रूप देते है| जो वास्तव में बहुत ही सुन्दर दिखाई देती है।

"कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

उदय इस्वे बी एफ ए फाइनल ईयर डिजिटल पेंटिंग के माहिर कलाकार है , वो बहुत ही सुन्दर रूप से प्राकृतिक लैंडस्केप ,पोट्रैट को अपने अंदाज़ में बनाना पसंद करते है ,उनका कार्य काफी सराहनीये है। अंकित विश्वकर्मा फाइनल ईयर अपनी कला को किसी भी वस्तु से एक बहुमूलय आकृति देने में माहिर है , उनके बनाये उन्हें लुप्त डिनोसॉर , बाइक एवं अन्य कलाकृति सरहनीय है , उन्होंने बची हुई कबाड़ की वस्तुओ को उपयोग में लाकर उन्हें मूलयवान बना दिया है।

"कला का उद्देश्य वास्तविकता को पुन: उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उसकी तीव्रता को वास्तविकता बनाना है

इसी के साथ अक्षय साकला की सिम्बॉलिक पेंटिंग ,अक्षिता गाँधी की रेअलिस्म और पोर्ट्रेट , हर्षिता और शुभम के इंस्टालेशन ,अविनाश यादव ,अमन राव टकोणे, महिमा कटिवल, निष्ठा जैन, और कई नई उभरते हुए कलाकारों (बी एफ ए स्टूडेंट्स ) के आकर्षित एवं सुन्दर कार्य शामिल है।

भवदीय

पूजा जैन
प्रिंसिपल
श्रीमान संपादक महोदय