टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 148 एवं 148-A के तहत की जाने वाली पुनःकरनिर्धारण की कार्यवाही जिसे सामान्य भाषा में री-असेसमेंट/स्क्रूटिनी असेसमेंट भी कहते हैं, पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसे हाई-कोर्ट एडवोकेट सीए आशीष गोयल ने सम्बोधित किया l
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 148 एवं 148-A के तहत की जाने वाली पुनःकरनिर्धारण की कार्यवाही जिसे सामान्य भाषा में री-असेसमेंट/स्क्रूटिनी असेसमेंट भी कहते हैं, पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसे हाई-कोर्ट एडवोकेट सीए आशीष गोयल ने सम्बोधित किया l
![टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा सेमिनार का आयोजन, एडवोकेट आशीष गोयल ने किया सम्बोधित](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-12-at-9.48.37-PM.jpeg)
सेमिनार का सञ्चालन कर रहे टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों से हर बजट में इस धारा 148 एवं 148-A में अमेंडमेंट आ रहे हैंl अभी तक इतने अमेंडमेंट आ चुके हैं कि यह सेक्शन आसान के स्थान पर कन्फ्यूज़्ड सेक्शन हो चूका है l धारा 148-A लाने का उद्देश्य अंतिम कर निर्धारण से पूर्व करदाता को अपना पक्ष रखने का एक अवसर प्रदान करना था लेकिन अधिकांश मामलों में विभाग द्वारा करदाता के पक्ष को नजरअंदाज किया जा रहा है जिससे इस सेक्शन की उपयोगिता पर भी प्रश्नचिंह लग रहा है l
![टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा सेमिनार का आयोजन, एडवोकेट आशीष गोयल ने किया सम्बोधित](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2025/02/GIS_5-scaled-e1738950369545.jpg)
एडवोकेट सीए आशीष गोयल ने कहा कि किसी भी करदाता के सम्बन्ध में कर निर्धारण अधिकारी के पास यदि यह विश्वास करने का कारन होता है कि करदाता की किसी आय पर कर निर्धारण नहीं किया गया है या कर लगने से छूट गई हो तो वो उचित प्राधिकारी की अनुमति से इस धारा के तहत पुनःनिर्धारण की कार्यवाही प्रारम्भ कर सकता है l
सीए गोयल ने कहा कि नोटिस प्राप्त होने पर यह चेक करना चाहिए कि नोटिस में ऐसे प्रकरण को पुनः खोलने के कारण का उल्लेख किया गया है कि नहींl यदि नोटिस में कारण नहीं दर्शाया गया है तो करदाता कर निर्धारण अधिकारी से ऐसे कारण की डिटेल मांग सकता है l उन्होंने कहा कि ऐसे नोटिस के 30 दिवस के अंदर करदाता को धारा 148 के अंतर्गत अपनी आयकर विवरणी पुनः दाखिल करना होती है l ऐसी विवरणी/रिटर्न में करदाता को सभी जानकारियां, कमाई व खर्चों को पूरी सावधानी से बताना चाहिए अन्यथा अनावश्यक जुर्माना लग सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसे नोटिस का कारण गलत प्रतीत होता है तो उच्च अधिकारियों के समक्ष इस तरह के नोटिस की वैधता का विरोध कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कर निर्धारण अधिकारी जवाब प्रस्तुत करने के लिए 7 दिन से कम दिनों का समय देता है तो करदाता कम से कम 7 पूर्ण दिवस का समय माँग सकता है।
सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया। धन्यवाद अभिभाषण सीए शाखा के सचिव सीए अमितेश जैन ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी, सीए ललित जैन, सीए राजेंद्र गोयल, सीए सुनील पी जैन, सीए विजय बंसल, सीए दीपक माहेश्वरी, सीए प्रमोद गर्ग, सीए एडवोकेट हितेश चिमनानी, सीए अविनाश अग्रवाल, सीए पी डी नागर सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।