इंदौर। एनएफएचएस-5 (2019-21) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एनएफएचएस-4 (2015-16) की तुलना में 5 साल से कम उम्र के बच्चों के पोषण संबंधी संकेतकों में सुधार दर्ज किया गया है। उदाहरण के लिए, स्टंटिंग 38 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत हो गई है, वेस्टिंग 21.0 प्रतिशत से घटकर 19.3 प्रतिशत हो गई है और बच्चों में वजन कम होने के मामले 35 प्रतिशत से 32 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इसके साथ ही पोषण संबंधी कमियों को दूर करने की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
इसी सिलसिले में देश में सबसे भरोसेमंद जीवन बीमाकर्ताओं में से एक एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने एक सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में, अपना योगदान देने के लिए एक्शन अगेंस्ट हंगर फाउंडेशन के साथ अपना सहयोग जारी रखा है। दोनों संगठन मिलकर गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और पांच साल तक की उम्र के बच्चों में पोषण की कमी को सुधारने के प्रयास कर रहे हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव नजर आने लगा है।
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अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कंपनी ने राजस्थान के बारां और मध्य प्रदेश के धार जिलों में 1000 दिनों से अधिक का लक्ष्य तय करते हुए विभिन्न कदम उठाए हैं। दोनों संगठनों की साझेदारी का लक्ष्य विभिन्न सामाजिक हितधारकों और सरकारी विभागों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करना है। इनमें कुपोषण की व्यापकता को कम करना, जल स्वच्छता और स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) सत्रों के माध्यम से सुरक्षित पेयजल और हाथ धोने की प्रथाओं तक पहुंच प्रदान करना जैसे लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में कार्यक्रम के परिणामस्वरूप बारां में 1-2 वर्ष की आयु के बच्चों में दुबलेपन संबंधी समस्याओं में 29.1 फीसदी से 19.6 फीसदी और धार में 37.2 फीसदी से 22 फीसदी की कमी आई है। इसके अतिरिक्त, बारां में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच आहार विविधता 3.5 फीसदी से बढ़कर 58.54 फीसदी और धार में 1.30 फीसदी से 25 फीसदी तक बढ़ गई है। बारां में गर्भावस्था के प्रारंभिक पंजीकरण में भी 82.30 फीसदी से 93.41 फीसदी और धार में 64.6 फीसदी से 80.95 फीसदी सुधार हुआ है (2019-2023 तक के डेटा के अनुसार)।
दोनों संगठनों की ओर से शुरू की गई यह पहल अब वित्तीय वर्ष 23-24 में अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश कर रही है, इस लिहाज से सारा ध्यान पोषण-विशिष्ट और पोषण-संवेदनशील पहलुओं की ओर शिफ्ट हो गया है। लक्ष्य समुदायों और सरकारी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को परिवर्तन को बनाए रखने और बर्बादी की व्यापकता को कम करने और मातृ एवं शिशु पोषण में सुधार करने की दिशा में काम करने के लिए सशक्त बनाना है। बारां और धार जैसे जटिल समस्याओं वाले जिलों में, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में दुबलापन एक गंभीर चिंता का विषय रहा है।
इस पहल ने वेस्टिंग के बोझ को कम करने और वेस्टिंग से पीड़ित बच्चों के इलाज की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय सरकारी प्रणालियों को मजबूत करना भी है जिसमें कुपोषण मुक्त पंचायतों के लिहाज से पीआरआई सदस्यों के लिए एक एसओपी विकसित करना, भूख और पोषण सुरक्षा पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए क्षमता निर्माण सत्र आयोजित करना और हितधारकों के साथ चर्चा के लिए विभिन्न राज्य और जिला स्तरीय बैठकें आयोजित करना शामिल है।
आम तौर पर इन बैठकों में पोषण पुनर्वास केंद्रों की कार्यप्रणाली और आंगनवाड़ी केंद्रों पर पर्याप्त मानवविज्ञान उपकरणों की उपलब्धता जैसे विषयों पर चर्चा की जाती है। बारां और धार जिलों में एक्शन अगेंस्ट हंगर फाउंडेशन के साथ एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की साझेदारी इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो वित्तीय सहायता से परे है। यह प्रभाव, आशा और परिवर्तन की कहानी है, जो एक ऐसे दृष्टिकोण का प्रतीक है जो महज कॉर्पाेरेट लेनदेन और चार्ट से कहीं आगे है। यह पहल उस गहन प्रभाव को भी दर्शाती है जो तब प्राप्त किया जा सकता है जब जीवन की बेहतरी के प्रति प्रतिबद्धता एक प्रेरक शक्ति बन जाती है।