Indore Metro : भारत का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अब एक नई आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहा है। 31 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल से वर्चुअल माध्यम के जरिए इंदौर मेट्रो का शुभांरभ किया। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अब मेट्रो सिटी बन गई है। यह कदम इंदौर को मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की श्रेणी में ला खड़ा करेगा। भविष्य में इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो सेवा विस्तार की भी योजना है।
इंदौर में मेट्रो परियोजना की चर्चा 2011 के आसपास शुरू हुई थी। हालांकि, 2016 में पहले चरण की घोषणा के बावजूद कार्य प्रारंभ नहीं हो सका। 9 सितंबर 2019 को ‘यलो लाइन’ की आधारशिला रखी गई। कोरोना काल में प्रगति धीमी रही, लेकिन 2021-22 के बाद काम ने रफ्तार पकड़ी और मुख्य मार्गों पर एलिवेटेड कॉरिडोर नजर आने लगा।

5.8 किमी लंबे रूट पर शुरुआत
मेट्रो का पहला चरण गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर तक करीब 5.8 किमी के हिस्से में शुरू होगा, जिसमें पांच स्टेशन शामिल हैं। योजना के अनुसार जून 2024 में कमर्शियल रन और दिसंबर तक रेडिसन चौराहे तक विस्तार होना था, लेकिन इसमें कुछ देरी हो गई है।
हर 30 मिनट में ट्रेन सेवा
शुरुआती सप्ताह में यात्रियों को मुफ्त मेट्रो सेवा का लाभ मिलेगा। ट्रेन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक हर 30 मिनट में उपलब्ध होगी। न्यूनतम किराया ₹20 और अधिकतम ₹30 निर्धारित किया गया है। शुरुआत में 10 कोच के साथ संचालन किया जाएगा।
एआई तकनीक से लैस आधुनिक कोच
इंदौर मेट्रो के डिब्बे अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। एआई तकनीक से युक्त ये कोच खतरनाक वस्तु या रुकावट की पहचान कर तुरंत अलर्ट जारी करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर ये स्वतः ब्रेक भी लगा सकते हैं। ऊर्जा संरक्षण भी ऑटोमेटेड सिस्टम से होगा। ट्रेन बिना पायलट भी चल सकती है, हालांकि आरंभिक चरण में संचालन मानव द्वारा ही होगा।
तेजी से हुआ निर्माण कार्य, खर्च हुए 650 करोड़ रुपए
वर्ष 2022 तक मेट्रो कॉरिडोर का कार्य अपेक्षाकृत धीमा था। गांधी नगर डिपो की योजना में बदलाव कर 40 मकानों को सुरक्षित रखते हुए काम शुरू किया गया। सेगमेंट लॉन्चिंग के लिए एक साथ 7 लॉन्चर लगाए गए, जिससे कार्य में अभूतपूर्व तेजी आई। अब तक इस चरण में लगभग 650 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
वास्तविक उपयोग के लिए रिंग कॉरिडोर की प्रतीक्षा
पूर्व जीएम केएस चौहान के अनुसार मेट्रो के मूल रूट में कई बदलाव किए गए हैं। पहले जहां क्रॉस रूट प्रस्तावित था, वहां अब तीसरे विकल्प पर काम हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब मेट्रो का पूरा रिंग कॉरिडोर तैयार होगा, तभी इसका पूरा लाभ शहरवासियों को मिलेगा, जिसमें अभी 5 साल तक का समय लग सकता है।
उन्नत बिजली आपूर्ति और तकनीकी निगरानी
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने सुपर कॉरिडोर स्थित स्काडा कंट्रोल सेंटर का निरीक्षण कर बिजली आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की। 33 केवी पैंथर लाइन से मेट्रो तक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। ट्रैक की निगरानी और सुरक्षा के लिए थर्ड रेल और यार्ड सिस्टम का भी विस्तार से अध्ययन किया गया।
कैसे ले टिकिट?
प्रत्येक मेट्रो कोच में 50 बैठने और 300 खड़े यात्रियों की व्यवस्था है। एक ट्रेन में कुल 980 यात्री यात्रा कर सकते हैं। एलईडी लाइट्स, ऑटोमेटिक गेट, डिजिटल रूट मैप, और ग्रैब हैंडल जैसी सुविधाएं यात्रियों की सुविधा को बढ़ाएंगी। टिकटिंग के लिए शुरुआत में काउंटर रहेंगे, लेकिन भविष्य में क्यूआर कोड आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऐप्स के माध्यम से टिकट मिलेंगे। गेट पर ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFC) भी मौजूद रहेगा।