इंदौर जिले के कलेक्टर आशीष सिंह ने एक ऐसा ऐतिहासिक लिया है, जो मध्यप्रदेश में संभवतः पहली बार देखने को मिलेगा। यह निर्णय राजस्व न्यायालयों (SDM और तहसीलदार कोर्ट) की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने यह तय किया है कि जिले के सभी राजस्व न्यायालयों में सुनवाई कक्षों में हाई-टेक CCTV कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से युक्त होंगे, जो सिर्फ सुनवाई के समय ही सक्रिय होंगे। इनकी लाइव फीड सीधे कलेक्टर के चेंबर में देखी जा सकेगी। इससे न केवल अधिकारियों की उपस्थिति पर निगरानी रहेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सुनवाई तय समय पर हो और फैसले बिना देरी के दिए जाएं।
पारदर्शिता की ओर एक और ठोस कदम
यह निर्णय हाल ही में सामने आए 50 लाख की रिश्वत के मामले और लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनज़र लिया गया है। शिकायतें थीं कि तहसील कार्यालयों में बिचौलियों का बोलबाला है, आम नागरिकों की सुनवाई समय पर नहीं होती और तारीखें बेवजह खींची जाती हैं। इन समस्याओं पर नियंत्रण पाने के लिए यह तकनीकी उपाय अपनाया जा रहा है।
AI तकनीक का पहले भी रहा हैं असरदार इस्तेमाल
इससे पहले भी आशीष सिंह ने शहर के बार और पब में देर रात तक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए AI बेस्ड CCTV कैमरे लगवाए थे। इन कैमरों की लाइव फीड आबकारी नियंत्रण कक्ष में दी जाती है। इसका सीधा परिणाम यह रहा कि अब बार-पब तय समय पर ही बंद होते हैं और देर रात तक खुले रहने की घटनाएं नियंत्रित हुई हैं।
राजस्व विभाग में पहले से चल रहे सुधार
कलेक्टर आशीष सिंह ने पहले भी कई ठोस कदम उठाए हैं जो प्रशासन में सुधार लाने के लिए सराहनीय रहे हैं:
- संवाद कक्ष की स्थापना: जहां रैंडम तरीके से फरियादियों को कॉल करके उनका फीडबैक लिया जाता है। इस प्रक्रिया के चलते कई पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है।
- रैंडम ट्रांसफर नीति: सभी पटवारियों का ट्रांसफर रैंडम आधार पर कर दिया गया ताकि एक ही स्थान पर लंबे समय तक रहकर भ्रष्टाचार की संभावना न बने।
- लंबित मामलों की निगरानी: तहसीलदारों द्वारा जानबूझकर केस लटकाने पर कार्रवाई के आदेश जारी किए जा चुके हैं।
- भ्रष्टाचार पर सख्त रुख: हाल ही में सामने आए 50 लाख की रिश्वत मांगने के मामले में नायब तहसीलदार और पटवारी पर कड़ी कार्रवाई की गई है।










