मुंबई की साहित्यिक, सांस्कृतिक डायरी (80 व 90 के दशक की)

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By Akanksha JainPublished On: June 24, 2020
satyanarayan vyas

सूत्रधार के संयोजक सत्यनारायण व्यास की कलम से

मुंबई: मुंबई में भाभा परमाणु केंद्र में वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में 1967 से 1986 के अपने प्रवास के दौरान कई साहित्यिक व रंगजगत की हस्तियों से परिचय रहा।इस संस्मरण माला के माध्यम से उन सुनहरे दिनों को फिर से याद करने की कोशिश कर रहा हूँ।

मुम्बई में मराठी, गुजराती, अंग्रेजी व हिंदी नाटक होते थे।मराठी नाटक मुख्यतः शिवाजी मंदिर,दादर में,गुजराती नाटक बिड़ला हॉल, भूलाभाई देसाई हॉल में होते थे।हिंदी नाटक यदा-कदा ही होते थे।सबसे पहले ग्रांट रोड़ में ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान(जिसमें गाँधीजी ने 1942 में भारत छोड़ो का नारा दिया था)के सामने स्थित तेजपाल हॉल में,उसके बाद दादर स्थित छबीलदास स्कूल के हॉल में।पृथ्वी थिएटर तब तक बना नही था।

तेजपाल हॉल सुंदर लगभग 250-300 की केपेसिटी का हाल था, बादल सरकार के कई नाटक यहीं देखें।ये सभी नाटक सत्यदेव दुबे द्वारा निर्देशित होते थे व अमरीश पुरी हमेशा मुख्य भूमिका में होते थे।मेरे निवास से यह हॉल लगभग 18-20 किलोमीटर होगा और पहुचने के लिए दो बस बदलने के बाद लोकल ट्रेन के 6 स्टेशनों के बाद लगभग आधा किलोमीटर पैदल भी चलना होता था।नाटक हमेशा रात्रि 8 बजे प्रारम्भ होते थे और समाप्ति के बाद वापस लोकल ट्रेन व दो बसों की यात्रा करके 11 बजे तक घर पहुँचते थे।जान कर ताज्जुब होगा कि 250-300की केपेसिटी के इस हॉल में इतने उत्कृष्ट नाटको में मैने 15-20 से ज्यादा दर्शक कभी नहीं देखे।