छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख रूप से कुटीर उद्योगों को केंद्रीकृत किया गया है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में युवाओं, महिलाओं तथा बेरोजगार लोगों को रोजगार एवं स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य के 28 जिलों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जा रहा है, जिनसे स्थानीय स्तर पर उद्यम स्थापित होंगे और आर्थिक गतिविधियाँ मजबूत होंगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की जनकल्याणकारी सोच और खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री गजेंद्र यादव के प्रयासों से यह क्षेत्र नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय – विकास को जन-जन तक पहुँचाने वाले नेतृत्वकर्ता
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अपनी सरलता, सहजता, दृढ़ता और ग्रामीण विकास के प्रति संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उनका यह स्पष्ट मानना है कि छत्तीसगढ़ का वास्तविक सामर्थ्य गाँवों में निहित है, जहाँ परंपरा, कौशल और संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। वे मानते हैं कि स्व-रोजगार ही आर्थिक सशक्तिकरण का सबसे मजबूत माध्यम है। उनके नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि स्व-रोजगार योजनाओं का लाभ प्रत्येक पात्र हितग्राही तक पहुंचे और कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देकर राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जाए।
खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री गजेंद्र यादव -ग्रामोद्योग के पुनर्जागरण के निर्माता
गजेंद्र यादव अपने ऊर्जा से भरे कार्यशैली, जमीनी समझ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के निरंतर प्रयासों के लिए पहचाने जाते हैं। वे लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि परंपरागत कौशलों को आधुनिक बाजार से जोड़ा जाए, जिससे स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को अधिक अवसर मिल सकें। उनकी पहल से कुटीर उद्योगों में नई संभावनाएँ विकसित हुई हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता का वातावरण मजबूत हुआ है। उनके नेतृत्व में खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग ने कई अभिनव कदम उठाए हैं, जिससे हजारों लोगों को आजीविका के नए साधन प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (CMEGP)
यह राज्य शासन की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है जो मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के अजा, अजजा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों को छोटे उद्योग स्थापित करने हेतु प्रेरित करना है, जो अपने कौशल के आधार पर सेवा या विनिर्माण क्षेत्रों में कारोबार शुरू करना चाहते हैं। सेवा क्षेत्र जैसे साइकिल और मोबाइल रिपेयरिंग, इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिक मरम्मत, ब्यूटी पार्लर, फोटोकॉपी, वीडियोग्राफी, टेंट हाउस, च्वाइस सेंटर और होटल जैसी गतिविधियों में उद्यम स्थापित करने हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा एक लाख रूपए निर्धारित है।
वहीं विनिर्माण क्षेत्र जैसे दोना-पत्तल निर्माण, फेब्रिकेशन, डेयरी उत्पाद, साबुन, मसाला, दलिया, पशुचारा, फ्लाई ऐश ब्रिक्स और नूडल्स निर्माण जैसे उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु 3 लाख रूपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है। इन दोनों ही श्रेणियों में 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है, ताकि प्रारंभिक आर्थिक बोझ कम हो सके। योजना के अंतर्गत हितग्राही को केवल 5 प्रतिशत स्वयं का अंशदान करना होता है। यह योजना विशेषकर ग्रामीण युवाओं को उद्यम स्थापना के लिए प्रेरित करती है।










