हाथरस कांड पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, अन्धेरे में अंतिम संस्कार को बताया मानवाधिकार का उल्लंघन

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By Akanksha JainPublished On: October 13, 2020

हाथरस। उत्तरप्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप और फिर उनकी मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सख़्त टिप्पणी की है। न्यूज़ एजेंसी ने बताया कि, हाईकोर्ट ने कहा है कि रात के अंधेरे में लड़की का अंतिम संस्कार करना लड़की और उनके परिवार दोनों के मानवाधिकार का उल्लंघन है। साथ ही अदालत ने योगी सरकार को निर्देश दिए हैं कि, हाथरस जैसे हालात में शवों का अंतिम संस्कार किस तरह किया जाए, इसको लेकर वो एक नियम बनाएं।

बता दे कि, 14 सितंबर को उत्तरप्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ पहले चार राजपूत युवकों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया, फिर पीड़िता को इतनी बुरी तरहा मारा कि बाद में लड़की ने दम तोड़ दिया। दरअसल, ज़ख़्मी हालत में लड़की को अलीगढ़ अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालात और ख़राब होने के बाद लड़की के दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल लाया गया था।

वही, हाथरस प्रशासन ने पीड़िता के शव को अपने क़ब्ज़े में लेकर देर रात गांव के बाहर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। वही, पीड़िता के परिवार वालों को कहना है कि, पुलिस ने उन्हें अपनी बेटी की शक्ल भी आख़िरी बार नहीं देखने दी और उन लोगों को घर में बंद करके ज़बरदस्ती अंतिम संस्कार कर दिया।

तो पुलिस का कहना है कि, उन्होंने क़ानून-व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका को देखते हुए रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया। साथ ही जब यह खबर मीडिया में आयी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और यूपी के वरिष्ठ अधिकारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने पेश होने को कहा।

बता दे कि, 12 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी और पीड़िता के परिवार के पाँच लोगों को अदालत में पेश किया गया। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने उन लोगों के बयान दर्ज किए। वही, पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा के मुताबिक सुनवाई के दौरान अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि, “अगर लड़की आपके परिवार की होती तो भी क्या आप इसी तरह करते?”

अदालत ने ज़िलाधिकारी से पूछा कि, मरने वाली लड़की अगर किसी अमीर आदमी की बेटी होती तो क्या आप इसी तरह जला देते?

वही, पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा के अनुसार, परिवार ने माँग की है कि इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश के बाहर की जाए। साथ ही बता दे कि, अदालत ने दो नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख़ दी है।