सरकारी राशन प्रणाली में हुआ बड़ा बदलाव, अब ऐसे होगी पहचान, गड़बड़ियों पर लगेगी रोक और हितग्राहियों को मिलेगा सीधा लाभ

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By Raj RathorePublished On: September 5, 2025

मध्य प्रदेश सरकार अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को और पारदर्शी व प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। राशन कार्ड धारकों तक सही मात्रा में और सही हाथों तक अनाज पहुँचाने के लिए अब फेस रिकॉगनिशन सिस्टम लागू किया जा रहा है। अभी तक उपभोक्ताओं की पहचान आधार आधारित फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन से होती थी, लेकिन इसमें कई बार मशीन की तकनीकी दिक्कत, बुजुर्गों के फिंगरप्रिंट न मिलने या फर्जी पहचान के ज़रिए राशन उठाने जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं। नए सिस्टम से इन खामियों को खत्म करने की कोशिश की जाएगी।


भोपाल में मौजूदा स्थिति

राजधानी भोपाल में वर्तमान में 3.34 लाख परिवार सरकारी योजनाओं के तहत राशन कार्डधारक हैं। इन राशन कार्डों पर कुल 16.70 लाख लोगों को लाभ दिया जा रहा है। प्रत्येक पात्र व्यक्ति को 5 किलोग्राम प्रतिमाह राशन उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए प्रतिमाह लगभग 83,500 क्विंटल अनाज 504 दुकानों के माध्यम से बांटा जाता है। इतने बड़े स्तर पर वितरण होने के कारण गड़बड़ियों की संभावना भी बढ़ जाती है, जिन्हें रोकने के लिए तकनीकी साधनों का सहारा लिया जा रहा है।

फेस रिकॉगनिशन सिस्टम कैसे करेगा काम?

इस नई प्रणाली में उपभोक्ता जब राशन लेने जाएगा तो पहले की तरह फिंगरप्रिंट से पहचान की कोशिश होगी। यदि मशीन अंगूठे का निशान नहीं पढ़ पाती, तो फेस रिकॉगनिशन का विकल्प दिया जाएगा।
• दुकानों पर लगाई जाने वाली ई-पॉस मशीन या मोबाइल ऐप में कैमरे से उपभोक्ता का चेहरा स्कैन होगा।
• यह स्कैन सीधे आधार सर्वर पर मौजूद फोटो से मिलाया जाएगा।
• यदि चेहरा मेल खा गया, तो पहचान प्रमाणित हो जाएगी और उपभोक्ता को राशन दिया जाएगा।
आगे चलकर फेस रिकॉगनिशन को अनिवार्य भी किया जा सकता है। साथ ही मोबाइल ऐप की मदद से घर बैठे भी राशन सत्यापन की सुविधा जोड़ी जा सकती है।

इससे क्या होंगे फायदे?

फेस रिकॉगनिशन तकनीक लागू होने से कई स्तर पर लाभ देखने को मिलेंगे।
• फर्जी अंगूठे, सिलिकॉन या रबर स्टैम्प लगाकर राशन लेने की गड़बड़ी खत्म होगी।
• बुजुर्ग, मजदूर या ऐसे लोग जिनके फिंगरप्रिंट अक्सर मशीन में नहीं आते, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
• सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि केवल वास्तविक लाभार्थियों तक ही अनाज पहुंचेगा।
• इससे अनाज की चोरी और लीकेज पर रोक लगेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।

सरकार की तैयारी और निगरानी

पीडीएस सिस्टम में लगातार गड़बड़ियां पकड़ने के बाद सरकार इसे और मजबूत करने के लिए तकनीक का सहारा ले रही है। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल बायोमेट्रिक और ई-केवाईसी के ज़रिए सत्यापन हो रहा है, लेकिन अब फेस रिकॉगनिशन जैसी आधुनिक तकनीक भी इसमें जोड़ी जा रही है। सरकार का दावा है कि इस कदम से फर्जीवाड़े पर पूरी तरह अंकुश लगेगा और केवल वास्तविक पात्र परिवारों तक ही सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचेगा।