12 ज्योतिर्लिंग रामकथा रेल यात्रा मोरारी बापू के भक्तिमय सफर में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर

Author Picture
By Ritik RajputPublished On: August 11, 2023

तलगाजरडा, महुवा, : पूज्य आध्यात्मिक गुरु और कथाकार मोरारी बापु की अद्भुत 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा रेल यात्रा मंगलवार को भावनगर के महुवा तालुका के तलगजरड़ा गांव पहुंची। यह अद्वितीय रेल यात्रा पूज्य मोरारी बापु के भक्तिमय सफर में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। श्रावण मास में आयोजित की गई इस आश्चर्यजनक पहल के चलते 1,008 श्रोताओं को सभी 12 ज्योतिर्लिंग, जो हिंदू धर्म में प्रमुख तीर्थस्थानों में स्थान पाते हैं, की अविस्मरणीय आध्यात्मिक यात्रा केवल 18 दिनों में पूर्ण करने का अवसर मिला।

22 जुलाई को उत्तराखंड के केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से शुरू हुई यह अनोखी यात्रा मंगलवार को तलगाजरडा पहुंची। 12,000 किमी से अधिक का सफर करते हुए, यात्रा ने यूपी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग और गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और गुजरात में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा की। ज्योतिर्लिंगों के अलावा, श्रोताओं को तीन धाम, जगन्नाथ पुरी, तिरूपति बालाजी और द्वारका, में भी दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

12 ज्योतिर्लिंग रामकथा रेल यात्रा मोरारी बापू के भक्तिमय सफर में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर

पूरी यात्रा के दौरान, मोरारी बापू ने रामचरितमानस की शिक्षाओं को प्रासंगिक और सार्थक तरीके से प्रस्तुत करने की अपनी अनूठी शैली से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने दिव्य ज्ञान की खोज, भक्ति के महत्व और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के अंतिम लक्ष्य पर जोर दिया।

22 जुलाई से 8 अगस्त तक केवल 18 दिनों में 12,000 किमी की ट्रेन यात्रा ने भगवान राम की शिक्षाओं को फैलाने के लिए मोरारी बापू के समर्पण और उनकी असाधारण कथा कहने की क्षमता को सही मायने में प्रदर्शित किया।

मंगलवार को तलगाजरडा में बोलते हुए, मोरारी बापू ने खुशी व्यक्त की कि भगवान के आशीर्वाद से, 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा किसी भी अप्रिय घटना से मुक्त रही। उन्होनें कहा कि एकता को बढ़ावा देने, देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रदर्शन करने और विभिन्न पृष्ठभूमियों और क्षेत्रों से आए श्रोताओं के बीच एक सेतु के रूप में काम करने के अपने उद्देश्य को भी यात्रा ने हासिल किया। उन्होंने यात्रा को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी स्वयंसेवकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

यात्रा के दौरान मोरारी बापू से बार-बार गुजरात के पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ से यात्रा शुरू न करने का कारण पूछा गया। इसके जवाब में मोरारी बापू ने रामकथा की तुलना उस गंगा से की, जो पहाड़ों से निकलकर समुद्र में मिल जाती है।उन्होंने बताया की ठीक उसी तरह हमने ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा हिमालय के पहाड़ों से शुरू करने और सोमनाथ पहुंचने से पहले पूरे देश में अपने दिव्य संदेशों को फैलाने के लिए ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा की योजना बनाई।

ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा ने भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम और भगवान शिव के स्वरुप माने जाने वाले ज्योतिर्लिंगों के बीच सद्भाव पर जोर देकर और इन दिव्य रूपों के अंतर्संबंध को प्रदर्शित करके हिंदू धर्म के दो प्रमुख संप्रदायों शैव और वैष्णववाद के बीच की खाई को प्रभावी ढंग से कम किया।

यात्रा ने श्रोताओं को देश के कुछ सबसे पवित्र स्थलों से जुड़ी दिव्य ऊर्जा का अनुभव करने और उनके आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने का दुर्लभ अवसर प्रदान किया। अधिक श्रावण सहित श्रावण के पवित्र महीने के दौरान कि गयी इस आध्यात्मिक यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व था।

यात्रा ने विशेष ट्रेनों में एक खुशी और उत्सव का माहौल बना दिया। श्रोता प्रार्थना करने, भजन गाने और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए साथ आए, जिससे पूरी यात्रा में एक जीवंत और सकारात्मक भावना बनी। यात्रा ने श्रोताओं के लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव के रूप में कार्य किया, जिससे उनका आध्यात्मिक संबंध गहरा हुआ। उन्हें मोरारी बापू के उत्थानशील रामकथा प्रवचनों के साथ अपने पहले के अनुभवों को साझा करने का भी अवसर प्राप्त हुआ।

संपूर्ण तीर्थयात्रा आईआरसीटीसी के सहयोग से दो विशेष ट्रेन, कैलाश भारत गौरव और चित्रकूट भारत गौरव, द्वारा की गई। इस यात्रा को आदेश चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से मोरारी बापू के श्रोता तथा कथा के मनोरथी रूपेश व्यास द्वारा प्रायोजित किया गया।

भगवान राम की शिक्षाओं के प्रसार में असाधारण प्रयास करने की मोरारी बापू की विरासत में 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा एक और महत्वपूर्ण योगदान है। उनकी पिछली यात्राएँ, जिनमें व्रज परिक्रमा कथा, अयोध्या से नंदीग्राम परिक्रमा कथा और समुद्री जहाजों और विमानों पर आयोजित कथाएँ शामिल हैं, ने अनगिनत लोगों के जीवन पर एक अमिट प्रभाव छोड़ा है। कुल मिलाकर, उन्होंने भारत और दुनिया भर में रामायण पर 900 से अधिक कथाएँ और हजारों प्रवचन किए हैं।