ब्रेन ट्यूमर के संकेतों की अनदेखी पड़ सकती है बहुत भारी

Shraddha Pancholi
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इंदौर: व्यक्ति कई बार किसी बीमारी के पनपने से पहले शरीर में मिलने वाले छोटे-मोटे संकेतों को अनदेखा कर देता है, और ये संकेत बाद में घातक बीमारी का रूप ले लेते हैं। ब्रेन ट्यूमर भी इन्हीं बीमारियों में से एक है, जिसका नाम तो लगभग हर किसी के कानों में पड़ जाता होगा, लेकिन इसके प्रति जागरूक रहने वालों की संख्या काफी कम ही है। दिमाग में किसी प्रकार की गठान के पनपने को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह साधारण होने के साथ-साथ ही कैंसर से संबंधित भी हो सकता है। जब मस्तिष्क में ट्यूमर पनपने लगता है, तो शरीर में इसके कुछ न कुछ संकेत जरूर मिलते हैं। यदि हम इन संकेतों को पहचान लें और गंभीरता से लेकर सही समय पर सही डॉक्टर से उचित परामर्श ले लें, तो संभावित खतरों को टाला जा सकता है। ऐसा कहना है इंदौर के अग्रणी हॉस्पिटल्स में से एक, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉ. रजनीश कछारा, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस का।

समय पर इलाज न मिलने पर ब्रेन ट्यूमर जानलेवा भी हो सकता है। चूँकि मस्तिष्क पूरे शरीर को चलाने में मदद करता है और इसका हर एक हिस्सा महत्वपूर्ण और उपयोगी होता है, इसलिए ट्यूमर मस्तिष्क के चाहे किसी भी हिस्से में हो, वह मरीज को निश्चित तौर पर नुकसान पहुँचाने का बहुत बड़ा कारण है।

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हर ट्यूमर कैंसर नहीं
ट्यूमर को आमतौर पर कैंसर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। हमारा मस्तिष्क सेल्स से बना होता है। जब भी किसी कारण से ब्रेन की सेल्स का नियंत्रण बिगड़ने लगता है, तो ये सेल्स खत्म होने लगते हैं। इसके बाद मस्तिष्क के काम में रूकावट पैदा होने लगती है। वहीं, जब मस्तिष्क में अनियं‍त्रि‍त सेल्स तेजी से फैलने लगते हैं, तो ये कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। आमतौर पर ब्रेस्ट, लंग्स आदि किसी स्थान पर कैंसर होने पर इसके पार्टिकल्स का मस्तिष्क तक पहुँचना भी ट्यूमर में कैंसर का रूप ले सकता है।

न्यूरो सर्जरी विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रेन ट्यूमर के मरीजों में करीब 50 फीसद मरीजों को कैंसर वाला ट्यूमर होता है, जिसे मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। शेष को बिनाइन ब्रेन ट्यूमर (सामान्य ट्यूमर या नसों का एक जगह इकट्ठा हो जाना) होता है। बिनाइन ट्यूमर की दशा में मरीज की सर्जरी कर आसानी से निकाला जा सकता है। जबकि मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर को एक बार निकालने के बाद यह दोबारा फैल सकता है। एशिया पैसिफिक जर्नल की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में मस्तिष्क संबंधी बीमारियों में वृद्धि के साथ, हर वर्ष 2,500 से अधिक भारतीय बच्चे मेडुलोब्लास्टोमा (बच्चों में होने वाला मस्तिष्क का कैंसर) से पीड़ित होते हैं, भारत में हर साल 40,000-50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है, इनमें से 20 फीसदी बच्चे हैं।

सिर दर्द सबसे सामान्य लक्षण
सिर दर्द या कभी-कभी इसके साथ उल्टी होना ब्रेन ट्यूमर के सबसे अहम् लक्षणों में से एक है। मिर्गी का दौरा पड़ना भी इसके लक्षणों में मुख्य रूप से शामिल है। यदि किसी युवा को पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा है, तो उसमें मस्तिष्क संबंधित कोई समस्या या ब्रेन ट्यूमर के पनपने के चान्सेस ज्यादा होते हैं। नींद न आना, मूड स्विंग, हियरिंग प्रॉब्लम, स्पीच प्रॉब्लम, कॉग्निटिव डेकलाइन (सीखने की क्षमता कम होना) इसके अन्य लक्षण हैं।

ट्यूमर का दुष्परिणाम यह है कि यह मस्तिष्क के जिस हिस्से में पनपता है, उससे ऑपरेट होने वाला हिस्सा काम करना बंद कर देता है। बतौर उदाहरण समझें, तो यदि ट्यूमर बॉडी को कंट्रोल करने वाले हिस्से में होता है, तो मरीज पैरालिसिस का शिकार हो जाता है, या आँख की नस के रिलेशन में होने पर मरीज को विज़न प्रॉब्लम होने लगता है, जिसमें ऑब्जेक्ट्स का डबल दिखाई देना या कम दिखाई देना शामिल हो सकता है।

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ट्यूमर का इन्वेस्टीगेशन
बीमारी के लक्षणों की बारीकी से जानकारी लेने के बाद यदि ट्यूमर के लक्षण नज़र आते हैं, तो मरीज का सीटी स्कैन टेस्ट किया जाता है। इस तरह के इन्वेस्टीगेशन के बाद ट्यूमर की स्थिति सामने आने पर एमआरआई के जरिए कॉन्ट्रा स्टडी की जाती है, जिसके बाद ट्यूमर के सराउंडिंग्स और वास्तविक लोकेशन पता चलती है, कि यह वास्तव में मस्तिष्क के किस हिस्से में पनप रहा है। इसके बाद ही ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है।

न्यूरो नेविगेशन से सर्जरी
कई बार बहुत अंदर स्थित होने के कारण सरफेस पर ट्यूमर दिखाई नहीं देता है, इसकी गहराई में पहुँचने के लिए विशेष टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, जो कि मेदांता में उपलब्ध है। इसे न्यूरो नेविगेशन या इमेज गाइडेड सर्जरी के नाम से जाना जाता है। न्यूरो नेविगेशन टेक्नोलॉजी ट्यूमर के सेफ रिमूवल में बहुत मदद करती है