Holi 2022: मथुरा-वृंदावन के रंगोत्सव के चर्चे है हर ओर, जानें क्या है यहां की खासियत

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Holi 2022: आज देश के हर कोने में होलिका दहन हो रहा है जिसके बाद अब कल सभी लोग गीले शिकवे मिटा कर होली के रंगों से जीवन में रंग भरेंगे। हम होली खेलते जरूर है लेकिन बहुत कम लोग होते है जिन्हे होली का महत्त्व पता होता है। अगर आप भी उन लोगो में से है जिन्हे होली की मान्यता नहीं पता तो आज हम आपको बताएंगे। आपको बता दें मान्यता है कि भगवान कृष्ण के समय से होली को रंगों का त्योहार मना जाता है। जैसा की हम सभी जानते है भगवान श्री कृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं।

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मथुरा में श्रीकृष्ण रंगों के साथ होली मनाते थे। इसके बाद से ही होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में मनाए जाने लगा। धीरे-धीरे यह प्रथा शुरू हो गई। श्रीकृष्ण वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली खेलते थे और यही वजह है कि आज भी वृंदावन में होली का उत्सव बेजोड़ है। यहाँ की होली आज दुनियाभर में मथुरा-वृन्दावन की होली फेमस है। दुनिया के कई कोनो में लोग अपने-अपने तरीके से होली खेलते हैं। इस होली के त्यौहार में लोग अपने भीतर की कटुता को समाप्त करते है और मित्रता को बढ़ावा देते है।

भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मथुरा-वृन्दावन में धूम-धाम से होली मनाई जाती है इस दौरान देश के कई कोनो से लोग आकर यहाँ का आनंद लेते है। होली पर मथुरा-वृंदावन में श्रीकृष्ण के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां के मंदिरों में फूलों से होली खेली जाती है। भक्ति के साथ ही होली मनाना चाहते हैं तो मथुरा की यात्रा की जा सकती है। आपको बता दें कि, होली एक दिन का त्यौहार नहीं है बल्कि तीन दिनों तक इस त्यौहार को मनाया जाता है।

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पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है। इस दिन लोगों को पुराने गिले-शिकवे भूलकर इस दिन एक- दूसरे को रंग लगाना चाहिए। होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। राधा और कृष्ण व देवी देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें रंगों से रंगा जाता है।