हर दिन खा रहे हैं जहर! जानिए कैसे डिब्बा बंद खाना धीरे-धीरे बिगाड़ रहा आपकी सेहत

आज की तेज जिंदगी में डिब्बा बंद यानी पैकेज्ड फूड लोगों की पहली पसंद बन गया है. चलिए जानते हैं कि डिब्बा बंद खाना सेहत के लिए कितना खतरा है

Kumari Sakshi
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आज की तेज जिंदगी में डिब्बा बंद यानी पैकेज्ड फूड लोगों की पहली पसंद बन गया है. सुबह की जल्दी हो या ऑफिस का टिफिन, मार्केट में मिलने वाले इंस्टेंट नूडल्स, चिप्स, कुकीज, जूस, केचप, फ्रोजन खाने जैसी चीजें हर घर का हिस्सा बन चुकी हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आसान और स्वाद भरा विकल्प आपकी सेहत को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है? सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे!

डिब्बा बंद खाना सेहत के लिए खतरा
डिब्बा बंद खाने को लंबे समय तक टिकाए रखने के लिए कई तरह के प्रिजर्वेटिव, केमिकल, आर्टिफिशियल फ्लेवर, कलर और सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है. ये तत्व धीरे-धीरे आपके शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं.

किन बीमारियों का बन सकता है कारण?
1. हृदय रोग (Heart Diseases)-प्रिजर्वेटिव और ट्रांस फैट से भरपूर डिब्बा बंद खाना कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

2. डायबिटीज और मोटापा- अधिकतर पैकेज्ड फूड में हाई शुगर और हाई कैलोरी होती है, जो शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा करती है और वजन तेजी से बढ़ाती है.

3. कैंसर का खतरा- कुछ डिब्बा बंद फूड में पाए जाने वाले नाइट्रेट्स और बिस्फेनॉल-A (BPA) जैसे तत्व शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ावा दे सकते हैं.

4. मानसिक स्वास्थ्य पर असर- रोजाना जंक और पैकेज्ड फूड खाने से शरीर में डोपामिन का असंतुलन हो सकता है, जिससे डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

5. पाचन संबंधी समस्याएं- फाइबर की कमी और अधिक मात्रा में प्रिजर्वेटिव के कारण पेट में गैस, कब्ज और अपच जैसी शिकायतें बढ़ जाती हैं.

प्लास्टिक और BPA का खतरा
डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ अक्सर प्लास्टिक कंटेनरों में आते हैं। इनमें मौजूद Bisphenol-A (BPA) नामक केमिकल शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है. यह पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकता है.

आंकड़ों की नजर से देखें
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर तीसरा व्यक्ति हर दिन कोई न कोई प्रोसेस्ड या पैकेज्ड फूड खा रहा है. WHO का कहना है कि 90% प्रोसेस्ड फूड में अत्यधिक नमक, चीनी और ट्रांस फैट होता है, जो गंभीर बीमारियों का मूल कारण बन रहा है.