मानसून का मौसम जहां एक ओर राहत लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह बीमारियों का भी वाहक बन जाता है. खासकर पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी, अपच और फूड इन्फेक्शन आम हो जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बरसात में रोज खाई जाने वाली रोटी भी इंफेक्शन की वजह बन सकती है?
बारिश में गेहूं की रोटी क्यों बन सकती है खतरा?
बारिश के मौसम में आद्र्रता बढ़ने से गेहूं या उसका आटा जल्दी ख़राब हो सकता है। इसमें फफूंद (fungus) लगने का खतरा रहता है, जो दिखती नहीं लेकिन शरीर में जाकर फूड पॉयज़निंग या पाचन संबंधी गड़बड़ियां पैदा कर सकती है. अनरिफाइंड गेहूं का आटा अगर सही तरीके से स्टोर न किया जाए, तो उसमें माइकोटॉक्सिन्स बनने लगते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं.
कौन-से आटे हैं बेहतर विकल्प?
बारिश के मौसम में आपको ऐसे आटे का चुनाव करना चाहिए जो: जल्दी खराब न हो, पचाने में आसान हो, इम्यूनिटी बढ़ाए और शरीर को डिटॉक्स करने वाले गुणों से भरपूर हो,
1. ज्वार का आटा (Sorghum Flour)
. फाइबर से भरपूर
. पाचन बेहतर करता है
. शरीर में ठंडक लाता है
. डिटॉक्स गुण मौजूद
2. बाजरे का आटा (Pearl Millet)
. आयरन और फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत
. एसिडिटी को संतुलित करता है
. मानसून में इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है
3. रागी का आटा (Finger Millet)
. कैल्शियम से भरपूर
. डाइजेशन फ्रेंडली
. बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए फायदेमंद
4. चने का आटा (Besan)
. प्रोटीन रिच
. लिवर डिटॉक्स करता है
. बारिश में पेट हल्का और साफ़ रखता है
कैसे करें आटे का सही चुनाव?
घर पर कम मात्रा में ही आटा पिसवाएं या लाएं, एयरटाइट डिब्बे में रखें, आटे को महीने भर से ज्यादा न स्टोर करें, बरसात में गेहूं के बजाय मिलेट्स और फाइबर रिच आटे से बनी रोटियां खाएं.
न्यूट्रिशनिस्ट्स की सलाह:
“मानसून में आंतों की सेहत सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए इस मौसम में ऐसा आटा चुनना चाहिए जो फाइबर रिच हो और पाचन को दुरुस्त रखे.”