उपवास में इतने सालों से खाया जा रहा कुट्टू का आटा, जानें इसका रोचक इतिहास

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By Mukti GuptaPublished On: March 27, 2023

देशभर में इन चैत्र नवरात्री को बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर तरफ माता रानी के दरबार सजे है और इनमें भक्तों की लम्बी कतारे भी लगी हुई है। नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार में लोग ख़ास तौर पर फलाहरी व्रत रखते है। जिसमें फलों के साथ कुट्टू के आटे से बनें व्यंजनों को भी खाया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते है इस कुट्टू के आटे का इतिहास ?

इतिहासकारों का कहना है कि इस आटे की खोज सबसे पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में करीब 6000 ईसा पूर्व में की गयी। जिसके बाद यह मध्य एशिया, तिब्बत और मध्य पूर्व से होते हुए यह यूरोप तक पहुंच गया। हालांकि इसको लेकर इतिहासकारों को कुछ अवशेष युन्नान प्रांत से मिले है जो अनुमान के मुताबिक लगभग 2600 साल पुराने है।

उपवास में इतने सालों से खाया जा रहा कुट्टू का आटा, जानें इसका रोचक इतिहास

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गौरतलब है कि इस कुट्टू के आटे का सेवन इन पर्वों तथा त्योहारों के दौरान किया जाता है जिसकी वजह से इसकी खपत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसकी सबसे ज्यादा पैदाबार और खपत रूस में होती है। जिसके बाद दूसरे नंबर पर फ्रांस आता है। बता दें कुट्टू के आटे को अनाज की श्रेणी में नहीं रखा गया है और न ही यह फल की श्रेणी में आता है। इसमें मैग्नीशियम, फॉलेट, जिंक, विटामिन-B, आयरन, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीज और फास्फोरस प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।