अगर आप ऑफिस में रोजाना 8 से 10 घंटे तक एक ही कुर्सी पर बैठे रहते हैं, तो यह न्यूज आपके लिए अलार्म से कम नहीं है. एक हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक बैठकर काम करना धीरे-धीरे आपकी रीढ़ की हड्डी (Spine) को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. और इससे न केवल पीठ दर्द बल्कि स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, हर्नियेटेड डिस्क और पोस्टुरल डिसऑर्डर जैसे खतरनाक रोग जन्म लेते हैं. आज के दौर में जब वर्क फ्रॉम होम और ऑफिस दोनों ही जगह लोग कुर्सी से चिपके रहते हैं, तब यह जानना बेहद जरूरी है कि यह आदत आपकी पूरी जिंदगी को दर्द में बदल सकती है.
क्या कहती है रिसर्च?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, “जो लोग हर दिन 6 घंटे से अधिक लगातार बैठे रहते हैं, उनके शरीर में मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है और स्पाइन पर लगातार दबाव पड़ने से लंबे समय में गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं.” वहीं, AIIMS और अन्य ऑर्थोपेडिक इंस्टीट्यूट्स की रिपोर्ट में बताया गया कि “हर 10 में से 6 IT और ऑफिस वर्कर्स को किसी न किसी प्रकार की बैक या नेक प्रॉब्लम ज़रूर होती है.”
ये हैं लगातार बैठने से होने वाली प्रमुख समस्याएं
. लोअर बैक पेन (कमर दर्द)
. सर्वाइकल पेन (गर्दन में अकड़न)
. स्लिप डिस्क या डिस्क हर्नियेशन
. स्पाइन कर्व में गड़बड़ी (Postural Kyphosis)
. सिरदर्द, आंखों में तनाव और थकावट
. कमर, पीठ और कंधों में अकड़न या जकड़न
खतरे की निशानी क्या हैं?
. ऑफिस से लौटने के बाद कमर में खिंचाव या जलन
. गर्दन हिलाने में दर्द
. कुर्सी से उठते समय पीठ में चुभन
. हाथों में झनझनाहट या कमजोरी
. झुककर बैठने में परेशानी
बचने के लिए करें ये 6 आसान उपाय
1. हर 30 मिनट में 2 मिनट चलें या स्ट्रेच करें- कुर्सी से उठकर थोड़ा टहलें, कुछ झुकने-सुधरने वाले योग करें.
2. Ergonomic कुर्सी का इस्तेमाल करें- ऐसी कुर्सी चुनें जो रीढ़ की शेप को सपोर्ट दे और जिसकी ऊंचाई आपके स्क्रीन और डेस्क के अनुसार हो.
3. स्क्रीन की ऊंचाई आंखों के समकक्ष रखें- झुककर देखने से गर्दन और स्पाइन पर दबाव पड़ता है। स्क्रीन को आंखों के लेवल पर लाएं.
4. कमर के पीछे सपोर्ट दें- लंबर सपोर्ट तकिया या मुड़ा हुआ तौलिया कमर के पीछे रखें, ताकि झटका न पड़े.
5. वॉटर ब्रेक और आई-ब्रेक जरूरी हैं- हर 1 घंटे में थोड़ा पानी पिएं और 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से आंखें हटाएं.
6. वर्कस्टेशन एक्सरसाइज अपनाएं- जैसे – नेक रोल्स, शोल्डर स्ट्रेच, सीटेड ट्विस्ट्स और डीप ब्रीदिंग.