हेड्स ऑफ- अभयजी

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अतुल लागू

अभय जी छजलानी एक ऐसे शख्स का नाम जिस से मिलने के बाद आपका मन तृप्त तो हो ही जाता है और आपकी मानसिक उलझन है कुछ हद तक दूर भी हो जाती है अभय जी तनाव मुक्ति केंद्र के आका भले ही ना हो पर तनाव से राहत जरूर देते हैं दरअसल अभय जी के संपर्क में जोगी आया वह उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। अभय जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी। उनके बारे में यदि कुछ लिखना है तो जाहिर है 10 बार सोचना पड़ेगा कि उनकी प्रतिभा के किस विशेष बिंदु पर लिखा जाए। लिखना और बोलना नोवी एक कला है और अभय जी इसमें पूर्ण रूप से पारंगत है शब्द ही ब्रह्म है इस भ्रम वाक्य को वे साकार करते हैं उनका लेखन हो या भाषण दोनों बहुत ही संतुलित व संवेदनशील होते हैं हर एक शब्द का तोलमोल कर उपयोग करते हैं हर विषय पर गहन सोच चाहे वह सामाजिक सरोकार से संबंधित हो या खेलकूद का विषय या राजनीतिक समीक्षा या साहित्य की विधा हो।

कोई अतिशयोक्ति नहीं कि अभय जी अनवरत किसी भी विषय पर कभी भी अच्छा बोल सकते हैं और लिख भी सकते हैं जिस विषय की जानकारी उन्हें नहीं होती उसको निश्चित रूप से जानने की जिज्ञासा भी उनमें है बरसों कि उनकी निकटता में मैं यह बात जान।
इन सब गुणों के पीछे उनका मुख्य आधार स्तंभ है नई दुनिया यदि नई दुनिया के बीच आदरणीय बाबूजी (लाभचंद जी), बसंती लाल जी सेठिया, माननीय नरेंद्र तिवारी जी वह बाबा (राहुल बारपुतेजी) ने बड़ी मेहनत के साथ बोए, तो उसे आगे बढ़ाया अभय जी रज्जू बाबू (राजेंद्र माथुर) वह गोपी कृष्ण गुप्ता जी ने ।

अरे साल इंदौर जैसे व्यवसायिक शहर को आसपास के ड्राई बेल्ट का फायदा बहुत मिलता है ड्राई बेल्ट से मतलब दूर-दराज तक कोई बड़े शहर का ना होना। पूर्व व पश्चिम निमाड़ खंडवा बुरहानपुर खरगोन अलीराजपुर मेघनगर झाबुआ रतलाम धार मंदसौर नीमच देवास राजगढ़ ब्यावरा उज्जैन आगर महिदपुर सोनकच्छ आष्टा नेमावर तक पूरा का पूरा इलाका इंदौर पर ही निर्भर रहता है। इन सभी शहरों व कस्बों से जुड़े होने के कारण इंदौर के सभी अखबारों को फलने फूलने का बहुत बड़ा आधार मिला साथ ही इन सभी छोटे बड़े शहरों व कस्बों से लगे सीमावर्ती शहर व कस्बे (महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान) इनकी पकड़ में रहे।

बरसो बरस तक नई दुनिया के सामने कोई अच्छा प्रतिद्वंदी न रहने के कारण इसका फायदा उसे बहुत मिला और नईदुनिया प्रबंधकों नहीं इसका उपयोग भी बखूबी किया यहीं से शुरू होती है आंचलिक पत्रकारिता की दास्तां भाषाई आंचलिक पत्रकारिता को तत्कालीन मध्य भारत से आज के मध्य प्रदेश तक बढ़ाने में नई दुनिया के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता इसका अधिकतम श्री अभय जी के खाते में जाता है इन सभी आंचलिक पत्रकारों से उनका जीवन संपर्क ही नई दुनिया को श्रेष्ठ बनाने में सहायक रहा। इसीलिए आज भी नई दुनिया का पुराना पाठक वर्ग सर्वश्री अवंती लाल जैन (उज्जैन), प्रकाश उपाध्याय (रतलाम), जैन नागड़ा (खंडवा), शेख परिवार (खरगोन), अयूब खान (बड़वानी) और ऐसे ना जाने कितने छोटे शहरों कस्बे के आंचलिक पत्रकार ने दुनिया के कारण जाने जाते हैं।

पहले नई दुनिया को पत्रकारों की टकसाल कहा जाता थाआज देश भर के श्रेष्ठ पत्रकार सर्वश्री राजेंद्र माथुर प्रभाष जोशी शरद जोशी रामशरण जोशी मदन मोहन जोशी श्रवण गर्ग स्वर्गीय शाहिद मिर्जा सुरेश उषा डुग्गर शिव अनुराग पटैरिया राजेश बादल आदि इसी संस्था की देन है। शायद इसीलिए नई दुनिया को पत्रकारिता का वटवृक्ष कहा गया है जिसकी शाखाएं देशभर में दूर-दराज तक फैली हुई है नई दुनिया में संवेदनशील भाषा और विषय की गंभीरता देखने पढ़ने को मिलती है उतनी अन्यत्र कम ही पाई जाती है इसी कारण भाषाई और आंचलिक पत्रकारिता में नई दुनिया को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अभय जी को पदम श्री अलंकार से नवाजा गया तो सिर्फ मालवा निमाड़ ही नहीं अपितु पूरे पत्रकार जगत में गौरव की अनुभूति महसूस की गई क्योंकि गुणों का कौतुक करना जो हम जानते हैं। भाई जी के हजारों हजार लोगों से बधाई और शुभकामनाएं आई होंगी पर मुझे तो अंग्रेजी का एक बहुत ही छोटा सा वाक्य उनके लिए पूरा सा लगता है….. वह है “Hats Off to Abhayji”