हाथरस में भगदड़ की जांच कर रही एक विशेष जांच टीम (SIT) ने 119 बयान दर्ज किए हैं और मंगलवार को एक रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें कहा गया है कि ’सत्संग’ का आयोजन करने वाली समिति जिम्मेदार थी। जिसके बाद से योगी सरकार एक्शन मोड में है। सरकार ने कई अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा और चौकी इंचार्ज पोरा को सस्पेंड कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि धार्मिक आयोजन ’सत्संग’ के आयोजन के लिए जिम्मेदार समिति भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार थी। समिति ने अनुमति संख्या से अधिक लोगों को आमंत्रित किया, पर्याप्त व्यवस्था करने में विफल रही और अधिकारियों ने अनुमति देने के बावजूद साइट का निरीक्षण नहीं किया।
करीब 300 पन्नों की रिपोर्ट में मृतकों के परिजनों और घायल श्रद्धालुओं समेत 119 लोगों के बयान दर्ज किए गए।एसआईटी ने डीएम हाथरस आशीष कुमार, एसपी निपुण अग्रवाल, एसडीएम और सीओ सिकंदराराऊ, जिन्होंने सत्संग की अनुमति दी थी, के साथ-साथ 2 जुलाई को हुए सत्संग के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के भी बयान दर्ज किए। एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी मौजूद रहीं।
इससे पहले सोमवार को, घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने दावा किया कि बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा “बाबा के चरण धूल“ (भगवान के चरणों की मिट्टी) इकट्ठा करने के प्रयास के कारण भगदड़ मच गई। मुगलगढ़ी गांव के सुधीर प्रताप सिंह ने कहा, “यह घटना तब हुई जब ’बाबा’ ने घोषणा की कि भक्तों को उनके पैरों के पास से मिट्टी लेनी चाहिए। भक्त जल्दी से मिट्टी इकट्ठा करने के लिए दौड़े लेकिन गिरने लगे और ढेर लगने लगे।“
यह घटना 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलारी गांव में स्वयंभू बाबा सूरज पाल उर्फ ’भोले बाबा’ के धार्मिक ’सत्संग’ कार्यक्रम में हुई थी। हाथरस भगदड़ में करीब 121 लोगों की मौत हो गई। कांड के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।