भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। देश की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है, और लोग इस बार बजट से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। विशेष रूप से जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश की जीडीपी गिरकर सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई थी। ऐसे में यह बजट और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। आइए जानते हैं, अब तक भारत में पेश हुए कुछ ऐसे बजटों के बारे में, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नया दिशा और पहचान दी।
भारत का पहला केंद्रीय बजट
भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था, जब देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने इसे पेश किया। यह बजट देश के विभाजन और राष्ट्र निर्माण की आर्थिक चुनौतियों पर केंद्रित था, और इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता लाना था। इस बजट में 171 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व और 197 करोड़ रुपये का खर्च था, जिससे घाटा 26 करोड़ रुपये रहा। चेट्टी ने यह बजट पेश करते हुए कहा था कि भारत को एशिया के नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कठोर प्रयासों की आवश्यकता है।
कैरेट और स्टिक बजट
1986 में, वीपी सिंह द्वारा पेश किया गया बजट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसे ‘कैरेट एंड स्टिक’ के नाम से जाना जाता है। इस बजट का उद्देश्य लाइसेंस राज को समाप्त करना और अर्थव्यवस्था को उदार बनाना था। इसके तहत MODVAT (संशोधित मूल्य वर्धित कर) की शुरुआत की गई, जो व्यापारों के लिए करों को सरल और पारदर्शी बनाने में मददगार साबित हुआ।
1991 का ऐतिहासिक बजट: उदारीकरण और वैश्वीकरण का आगाज
1991 में डॉ. मनमोहन सिंह ने एक ऐसा बजट पेश किया, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा ही बदल दी। यह बजट उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के तीन प्रमुख सुधारों के साथ आया। इससे भारत को अपनी खस्ता आर्थिक स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिली और विदेशी निवेश को आकर्षित किया गया। इसे एक ‘युग बदलने वाला बजट’ भी कहा जाता है।
ड्रीम बजट
1997 में पी. चिदंबरम द्वारा पेश किया गया बजट को ‘ड्रीम बजट’ कहा गया। यह बजट खास तौर पर करों को कम करने और टैक्स के अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए जाना गया। चिदंबरम का मानना था कि कम टैक्स दरें न केवल लोगों को टैक्स चुकाने के लिए प्रेरित करेंगी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
मिलेनियम बजट
2000 के दशक की शुरुआत में, यशवंत सिन्हा ने ‘मिलेनियम बजट’ पेश किया। इस बजट में उन्होंने भारतीय आईटी उद्योग को झटका देते हुए सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर्स के लिए दी गई प्रोत्साहन योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का ऐलान किया। साथ ही, उन्होंने भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती को दर्शाते हुए ‘मेड इन इंडिया’ को बढ़ावा देने की बात की।