कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, कंपनी ने किया बड़ा ऐलान, 1 लाख से अधिक मिलेगा बोनस

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By Raj RathorePublished On: September 28, 2025

कोल इंडिया ने कोयला खदानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए सालाना बोनस 1 लाख 3 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है। यह फैसला हाल ही में छिंदवाड़ा के परासिया में कोल इंडिया मानकीकरण समिति की बैठक में लिया गया, जिसमें प्रबंधन और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से इसे मंजूरी दी। कर्मचारियों के खाते में यह राशि जमा कर दी गई है, जिससे त्योहारों के मौसम में बाजार और कर्मचारियों के बीच खुशी का माहौल बन गया।

बख्शीश से शुरू हुई परंपरा, अब बोनस में बदल गई


कोयला खदानों में मजदूरों के लिए दुर्गापूजा पर बख्शीश देने की परंपरा पहले निजी खान मालिकों द्वारा शुरू की गई थी। उस समय मजदूरों को मिठाई के साथ कुछ रुपये की नकद बख्शीश दी जाती थी, ताकि वे पूजा से पहले छुट्टी न लें और खदान में काम करते रहें। राष्ट्रीयकरण के बाद यह बख्शीश प्रॉफिट-लिंक्ड बोनस के रूप में बदल गई और अब कोल सेक्टर में यह कर्मचारियों के लिए एक मुख्य आकर्षण बन गया है।

पिछले 15 सालों में बोनस में लगातार वृद्धि

बोनस का आकर्षण पिछले दशक में लगातार बढ़ता रहा है। 2011 में कोयला कर्मियों को 21 हजार रुपए बोनस के रूप में मिला था, जबकि 2025 में यह राशि बढ़कर 1 लाख 3 हजार रुपए हो गई है। यह वृद्धि कर्मचारियों के उत्साह और मेहनत का स्वीकृति स्वरूप मानी जा रही है। बोनस का कुल बजट लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपए है और यह कोयला क्षेत्र के मजदूरों में त्योहारों से पहले उत्साह का प्रतीक बन गया है।

ठेका मजदूरों की स्थिति और बोनस विवाद

ठेका मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि विभागीय कर्मचारियों की संख्या घट रही है। ठेका मजदूरों को बोनस का भुगतान सीधे विभाग द्वारा नहीं किया जाता, बल्कि यह ठेकेदार और स्थानीय प्रबंधन के बीच विवाद का विषय बन जाता है। कोयला अंचल के पेंच और कन्हान खानों में 1 हजार से अधिक ठेका मजदूर कार्यरत हैं, जिन्हें 10 हजार रुपए या उनके बेसिक का 8.5 प्रतिशत बोनस देने पर सहमति बनी है। हालांकि, ठेका मजदूरों को कभी-कभी पूरी बोनस राशि नहीं मिल पाती।

बोनस के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व

कोयला क्षेत्र में बोनस का महत्व केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि यह मजदूरों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक उत्थान का भी प्रतीक है। दुर्गापूजा के समय बोनस मिलने की परंपरा अब भी जारी है और कर्मचारियों में उत्साह और निष्ठा बनाए रखने में सहायक मानी जाती है। राष्ट्रीयकरण के बाद बोनस की प्रणाली ने कर्मचारियों को सुरक्षा और पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।