शिक्षित बेरोजगार युवा सरदार बामनिया के जीवन को मिली नई रफ्तार

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इंदौर : राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति के बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए बिरसा मुंडा तथा टंट्या मामा स्वरोजगार योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के सकारात्मक परिणाम सामने दिखाई दे रहे हैं। सैकड़ों युवा इस योजना के अंतर्गत अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर रहे हैं। इन्ही में से एक बेरोजगार युवा सरदार बामनिया भी है जिनके जीवन को इस योजना से नई रफ्तार मिली है। बामनिया को बिरसा मुंडा योजना के अंतर्गत सीएनजी से संचालित ऑटो रिक्शा उपलब्ध कराया गया है।

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ऑटो रिक्शा मिलने से सरदार बामनिया बेहद खुश है। उसका कहना है कि मैं स्नातक उत्तीर्ण हूं। कुछ समय तक मैंने शासकीय सेवा के लिए प्रयत्न किए, सफलता नहीं मिली। फिर मैंने सोचा कि मैं प्राइवेट नौकरी करूं। इस दौरान मुझे विचार आया कि अगर मैं प्राइवेट नौकरी करूंगा तो मुझे पांच से दस हजार तक ही मिलेंगे। ऐसे में मुझे राज्य शासन की बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना के संबंध में जानकारी मिली। मैंने अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम के प्रभारी अधिकारी अजय सक्सेना से चर्चा की।

उन्होंने मेरा आवेदन जमा करवाया। मेरा आवेदन गत दिसम्बर माह में जमा हुआ और अब आवेदन स्वीकृत होकर मुझे ऑटो रिक्शा भी मिल गया। मात्र तीस दिन के भीतर आवेदन जमा होना, स्वीकृत होना और लाभ प्राप्त हो जाना यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

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राज्य शासन और स्थानीय प्रशासन की सुशासन नीति के तहत यह अब संभव हो रहा है। इसके लिए बामनिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने मेरे जीवन को नई रफ्तार दी है। उसने बताया कि ऑटो रिक्शा के माध्यम से मैं अब बड़ी सहजता के साथ पच्चीस से तीस हजार प्रति माह तक कमा लूंगा।