आप भी सावन में घर बैठे करें पं. प्रदीप मिश्रा के साथ ‘जलाभिषेक’, ये पूजन सामग्री रखें तैयार

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Sawan 2023 Pandit Pradeep Mishra Live : सावन में अगर आप भी पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ घर बैठे शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहते है, तो इन चीजों को अपनी पूजन थाली में तैयार रखकर और रात 9 बजे से 10 बजे तक होने वाले जलाभिषेक के LIVE प्रसारण के साथ भगवान शंकर की पूजा आराधना कर शिवभक्ति का लाभ ले सकते है…

ये है पूजन सामग्री
1 लोटा जल,
गेंहू के दाने-21,
कमल गट्टे-5,
चावल साबुत-108,
काली मिर्च-21,
कालीतिल 1चुटकी,
धतूरा-1,
बेलपत्र-7,
शमी पत्र-7,
गुलाब के फुल-7,
सुपारी गोल-3,
जनेऊ-2,
देशी घी के दीपक-2,
फल-5,
मिठाई-प्रसाद,
इत्र,
पिला-चन्दन,
मोली-कलावा,
कपूर,
लोंग,इलाइची,
चावल-साबुत पूजन के लिए,

पंचामृत-दुध-दही-घी-शहद-शक्कर,गंगाजल,

पूजन का सामान – रोली, हल्दी, मेहन्दी, अबीर, गुलाल, चावल, पान के पत्ता।

शिव लिंग बनाने की मिट्टी

पार्थिव निर्माण के लिए मिट्टी-1वैलपत्र, प्रातःकाल मीट्टी में कालीमिर्च पीसी हुई+गंगाजल मिलाकर शिवलिंग निर्माण करे 1थाली में वैलपत्र के उपर पार्थिव शिवलिंग विराजमान कर देशी घी का लेपन करके करें। भूलवश कोई सामग्री रह गई हो तो उसकी जगह चावल चढाये।

पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कैसे करे
पंडित प्रदीप जी मिश्रा ने अपनी कथा में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कैसे करना है इसके बारे में विस्तार से बताया है उसी कथा का विवरण देते हुए आपको नीचे कुछ बिंदु बताए गए हैं जिनका आपको ध्यान रखते हुए पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करना है।

आइए जानते हैं मैं पार्थिव शिवलिंग बनाने में कौन-कौन सी बातें जिसका में ध्यान रखना पड़ता है,

पार्थिव शिवलिंग निर्माण में आप जो मिट्टी ला रहे हैं जिस स्थान से मिट्टी ला रहे हैं वह शुद्ध होना चाहिए, अर्थात मिट्टी पर किसी प्रकार की गंदगी ना करी हो।

मिट्टी घर लाने के पश्चात गंगाजल नर्मदा का जल यानी किसी भी शुद्ध नदी के जल से छिड़काव कर देना चाहिए,

जिस पानी से अब छिड़काव करने वाले हैं उसमें इत्र के कुछ बूंदे डाल देनी चाहिए अगर घर में इत्र न हो तो आप दूध का भी उपयोग कर सकते हैं।

जिस दिन मिट्टी लाई जा रही है उसी दिन जल का छिड़काव करना आवश्यक है।

प्रातः काल में अगर आप शिवलिंग का निर्माण कर रहे हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उसे गला दो।

किस जल में मिट्टी को गलाना चाहिए उसका भी वर्णन शिवपुराण में हुआ है – जिस जल का आप उपयोग करने वाले हैं वह जल आपके रसोई में जहां पर पीने के पानी का मटका होता है।

वहां पर एक लोटे में शुद्ध जल तथा उसके पर प्लेट ढकी हुई और प्लेट के ऊपर चावल के दाने, ऐसी स्थिति में आपका जल एक लोटे मैं कुछ समय तक होना चाहिए, मित्रा द नाम और यह गाना टाइप हो गया।

जिस भी पात्र में आप पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने वाले हैं उसके नीचे एक बेलपत्र रखकर ही उसका निर्माण करना है, क्योंकि बेलपत्र ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो कि उस भार को सहन कर पाएगा।

बेलपत्र आपको सीधा रखना है तथा उसकी डंडी उत्तर दिशा की ओर रखना है और फिर उसके ऊपर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करना।

सर्वप्रथम आपको शिवलिंग का स्वरूप बनाना है पहले जलाधारी नहीं बनाना है स्वरूप बनने के बाद आप और मिट्टी डालकर जलाधारी बना सकते हैं।

पार्थिव शिवलिंग का अगर आपने निर्माण करा है तो वह रात्रि से पहले विसर्जन होना जरूरी है अगर शिवरात्रि का दिन हो तो आप अगले दिन विसर्जन कर सकता है।

पंडित प्रदीप जी मिश्रा ने जिस जल से हम शिवलिंगी निर्माण के लिए मिट्टी को जलाने वाले हैं वह जल रसोई में रखने के लिए इसलिए कहा गया है,

क्योंकि रसोई घर में 1 दिन में एक बार 33 कोटि देवी देवता प्रवेश करते हैं जिस कारण उस जल का मान बहुत अधिक हो जाता है और इसीलिए कहा जाता है कि पूरा घर स्वच्छ हो या ना हो पर रसोईघर स्वच्छ होना बहुत जरूरी है।

रात्रि 8 बजे तक पूजन की थाली तैयार करके पूजन के स्थान पर रखे स्वयं तैयार होकर ‘श्री.शिवाय.नमस्तुभ्यं.’ का जाप करे उसके पश्चात रात 9 बजे Online पूजन प्रारंभ होगा।