भक्त वही जिसे भजन और भगवान वजन नहीं लगते – पं.कमल किशोर नागर

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  • समापन अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव पहुंचे व्यासपीठ का पूजन
  • सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ समापन, भक्तों ने दी हवन कुंड में आहुतियां

इंदौर : जीवन में भोग के साथ भजन और धन के साथ धर्म को रखना जरुरी है। तड़प के समान कोई भजन नहीं इसीलिए तड़प को ही भजन कहा गया है। भगवान के किसी भी काम को वजन नहीं समझना चाहिए। वही सच्चा भक्त है जिसे भजन और भगवान वजन नहीं लगते। भगवान आते हैं या नहीं यह तो भजनानंदी की तङप पर निर्भर करता है।

उक्त विचार सोमवार को गोम्मटगिरी जम्बूर्डी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के समापन अवसर पर मालवा माटी के संत पं. कमलकिशोर नागर ने व्यक्त किए। उन्होंने भागवत कथा में आगे कहा कि जीवन में परम् पुरुषार्थ कर अर्थ यानी धन कमाना चाहिए। अर्थ अर्थी तक जाए वही पुरुषार्थ कहलाता है। आपने भगवान कृष्ण के ब्रज से द्वारिका जाने के बाद ब्रजवासियों को स्थिति का वर्णन सुनाया तो श्रोताओं कि अश्रुधार बह निकली।

श्रीमद् भागवत कथा आयोजक परमानंद गेहलोत, मुकेश गेहलोत एवं जयेश गेहलोत ने बताया कि सोमवार को भागवत कथा में व्यासपीठ का पूजन मुख्यमंत्री मोहन यादव, तुलसीराम सिलावट, रमेश मैंदोला, गोलू शुक्ला, पुष्यमित्र भार्गव, जयपालसिंह चावडा, चिंटू वर्मा, सुदर्शन गुप्ता, गौरव रणदीवे, सरदारसिंह सोलंकी, विनोद सोलंकी, संतोष नीमचा ने किया।