केन्द्रीय कृषि मंत्री से 10000 FPO योजना मे हो रहे घोटाले के जांच की मांग

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भोपाल शहर के एक पूर्व बैंकर एवं FPO एक्सपेर्ट शाजी जॉन ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से वर्तमान मे चल रहे 10000 FPO योजना के कार्यान्वयन पर जांच करने का आग्रह किया है। उनके अनुसार क्रियान्वयन एंजेंसियों और NGO ने मिलकर इस पूरे योजना का बेड़ागर्क किया है, और बजट मे प्रावधान रु6600 करोड़ मे से रु 3000 करोड़ का बंदर बाँट किया है, और किसानो को कोई फायदा नहीं हुआ है।

शाजी जॉन पिछले छह माह से नाबार्ड और एसएफ़एसी (SFAC New Delhi), जो इस 10000 FPO योजना के मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी है, से RTI (लगभग 900) के माध्यम से FPO योजना की जानकारी प्राप्त कर रहे है, और निष्कर्ष यही निकलता है की जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है, बस कुछ काम होने का दिखावा जरूर किया जा रहा है। मजेदार बात यह भी है की जल्द ही इस 10000 FPO योजना को भूलकर एक नया राष्ट्रिय FPO नीति लाने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय FPO नीति भी उन्ही लोगो द्वारा लाया जा रहा है, जिन्होने पिछले 15 वर्ष मे आज तक एक भी ढंग का FPO/ मॉडल FPO/ आदर्श FPO नहीं बनाया है, और तो और यह तक नहीं जानते होंगे की FPO होता क्या है, और उसे कैसे कार्य करना चाहिए।

शाजी जॉन द्वारा मध्य प्रदेश मे नाबार्ड द्वारा बनाए जा रहे लगभग 30FPO की वास्तविक स्थिति जानने के लिए 462 RTI भेजे गए। नाबार्ड भोपाल के अधिकारियों ने या तो आरटीआई कानून का अध्ययन नहीं किया है, या फिर उन्हे कानून के प्रति कोई डर नहीं है। उन्होने 462 आरटीआई का एक जवाब बनाकर दिया है की नाबार्ड कोई जानकारी नहीं देगा। देश के संविधान और आरटीआई अधिनियम 2005 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन और ठेगा दिखाने का इससे अच्छा उदाहरण नहीं मिलेगा।

शाजी जॉन ने स्पष्ट किया है की वो इन आरटीआई से प्राप्त जानकरी के आधार पर एफ़पीओ की वस्तुस्थिति का विश्लेषण करके, उन एफ़पीओ को जल्द जीवंत करने का समाधान देने के लिए तैयार है, लेकिन नाबार्ड और एसएफ़एसी के शहँशाह अपने अहंकार के पार्कष्टा मे इतने डूबे हुए है, उन्हे किसी से कोई मतलब नहीं है। उन्हे मालूम है की कोई काम ना करो, आँख, कान, मुह, कलम सब बंद रखो तो भी उनकी तंख्वाह पकती रहेगी।

शाजी जॉन ने केन्द्रीय कृषि मंत्री को प्रैसनोट के माध्यम से और ईमेल भेजकर यह आग्रह किया है, की जल्द से जल्द 10000 FPO योजना के कार्यान्वयन से संबन्धित जांच करवाए। साथ ही उन्होने मंत्री से यह भी आग्रह किया है की मंत्री, राष्ट्रिय FPO नीति बनाने के एक्स्पर्ट्स ग्रुप को यह निर्देशित करें की नए राष्ट्रिय FPO नीति को अंतिम रूप देने से पहले एक्स्पर्ट्स ग्रुप कम से कम एक बार स्मार्ट एफ़पीओ का एक प्रेजेंटेशन देख ले।