राजेश राठौर
दूल्हा-दुल्हन ने सोचा भी नहीं था कि वो शादी कर पाएंगे नहीं, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के बीच दोनों के परिजनों ने सहमति दी और गिनती के लोगों के सामने फेरे लिए। न तो बरात निकल सकी और न ही शानदार पार्टी हुई। ये किस्सा है इंदौर के चोपड़ा परिवार का। भारत संचार निगम के इंजीनियर जगदीश चोपड़ा की बेटी शैफाली का रिश्ता खातेगांव सोनखेड़ी के रामभरोसे के बेटे रवि जाट के साथ होना तय हुआ था। उसके बाद कोरोना मरीजों की संख्या कम हो रही थी। 27 अप्रैल को फेरे लेने का मुहूर्त निकला। अचानक कोरोना मरीज बढ़ते गए।
इंदौर से लेकर खातेगांव तक कोरोना कफ्र्यू लग गया। जैसे-तैसे शादी का सामान जुटाया। शादी इंदौर में होना थी, लेकिन यहां अनुमति नहीं मिल रही थी, इसलिए खातेगांव के सोनखेड़ी में दुबे के घर शादी करने का फैसला हुआ। परसों दुल्हन और उसके परिजन सोनखेड़ी चले गए। वहीं पर दूल्हे के परिजन भी आ गए। आम तौर पर मंडप कभी सुबह छह बजे नहीं होता है, लेकिन इनको करना पड़ा। सात बजे मामेरा कर दिया, वहीं घूमकर दूल्हा बारात ले आया, बैंड की बजाय ढोलक बुला ली, दस बजे भोजन कर लिया, गांव के पंडित को ही बुला लिया, ग्यारह बजे फेरे शुरू हो गए, शाम चार बजे विदाई भी हो गई। इसके बाद चोपड़ा परिवार इंदौर भी लौट आया।