अपनी उपलब्धियों का श्रेय जन प्रतिनिधियों को देते हैं ऐसे हैं कलेक्टर मनीष सिंह

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बात उन दिनों की है जब वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह इंदौर नगर निगम में आयुक्त बनकर आए थे। उन्होंने अपने करीबियों से पूछा की इंदौर नगर निगम में क्या ऐसे काम है जिन्हें प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। तब उन्हें पता चला कि सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी द्वारा इंदौर हाईकोर्ट में शहर में कचरे की समस्या को लेकर लगाई गई एक जनहित याचिका में इंदौर नगर निगम की आए दिन जमकर धुनाई हो रही है और निगम ढंग से जवाब तक नहीं दे पाता है। यहीं से मनीष सिंह ने इंदौर नगर निगम में अपने कामकाज का रास्ता तय कर लिया। उन्होंने तय किया कि वह इंदौर नगर निगम के माथे पर लगे कचरे के इस कलंक को मिटा कर रहेंगे।

उन्होंने जब तत्कालीन महापौर श्रीमती मालिनी गौड़ एमआईसी सदस्यों के सामने प्रस्ताव रखा कि क्यों ना हम शहर में कचरे को घर घर से इकट्ठा कर इस समस्या को ही दूर कर दें। तब किसी ने उन पर यकीन नहीं किया कि ऐसा हो सकता है। लेकिन अपनी जिद के पक्के मनीष सिंह ने इसे कर दिखाया। यही नहीं जिस नगर निगम को कचरे की समस्या के लिए और सफाई की लचर व्यवस्था के लिए शहर के लोगों द्वारा कोसा जाता था उस नगर निगम को देश में स्वच्छता में एक बार नहीं चार बार नंबर वन की पहचान मिली। यह सब मनीष सिंह के सफल नेतृत्व के कारण ही हो पाया । इस सफलता का श्रेय भी उन्होंने तत्कालीन महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, एमआईसी सदस्यों पार्षदों और इंदौर की जागरूक जनता को दिया। शहर को आवारा पशु मुक्त बनाने, होर्डिंग मुक्त करने या निगम स्टाफ को साधन संपन्न और सक्षम बनाने की बात हो मनीष सिंह कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने अभियान को सफल करके ही दम लिया ।

शहर में गुंडों के मकान तोड़ने या चौड़ी सड़कों के लिए हजारों की संख्या में मकान तोड़ने की मुहिम में भी वे कभी असफल नहीं हुए । इसी तरह अब इंदौर जिले में राशन माफिया,भूमाफिया की कमर तोड़ने में भी वे सफल हुए। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी वे पूरी ताकत से मैदान में डटे रहे और जिले के लोगों से कहा कि आखरी दम तक हार नहीं मानूँगा। इस दौरान ऑक्सीजन , हॉस्पिटल बेड को लेकर खड़ी हुई चुनोती का सामना किया। वर्तमान में कलेक्टर रहते हुए मनीष सिंह ने राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी हमेशा जिले को अग्रणी रखा है। कल इंदौर जिले को देश में 1 दिन में सर्वाधिक टीकाकरण की जो उपलब्धि हासिल हुई है उसके पीछे भी कलेक्टर मनीष सिंह की ही पूरी मेहनत, रणनीति और मार्गदर्शन है।

मुख्यमंत्री द्वारा इंदौर जिले को एक दिन में 2 लाख टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया था लेकिन उन्होंने मात्र 72 घंटे में जिले भर में हजारों टीकाकरण केंद्र तैयार करना इन केंद्रों पर कर्मचारियों को तैनात करने का काम किया। इस महा अभियान में विभिन्न समाजों ,धर्मों के प्रमुखों, राजनीतिक लोगों धार्मिक पदाधिकारियों,जनप्रतिनिधियो, पंचायत सदस्यों सरपंचों पूर्व पार्षदों को जोड़ने का अद्भुत कार्य भी कलेक्टर मनीष सिंह ने ही किया है। इसी का परिणाम है की इंदौर जिले ने इस लक्ष्य को हासिल ही नहीं किया बल्कि इसके पार निकल कर जिले में 2 लाख 22 हजार 813 टीकाकरण का रिकार्ड कायम कर दिया जिसे तोड़ना देश के किसी भी जिले के लिए असंभव है।

भले ही वे इस उपलब्धि का श्रेय जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ,सांसद शंकर लालवानी विधायकों व जनप्रतिनिधियों को दे रहे हो लेकिन हकीकत दुनिया जानती है कि अगर कलेक्टर मनीष सिंह नहीं होते तो इंदौर जिला शायद ही देश में सिरमौर बन पाता। मनीष सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि वह टीम बनाकर काम करते हैं टीम को खड़ी करना टीम को सक्षम बनाना और अपनी टीम के सदस्यों के लिए किसी भी हद तक जाना उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। इंदौर नगर निगम में भी उन्होंने टीम भावना के साथ काम किया इसके चलते ही नगर निगम के 18 हजार कर्मचारी उनके साथ जुड़ गए। आज भी नगर निगम के कर्मचारियों के लिए कोई कठिन से कठिन काम भी असंभव नहीं है।

प्रमोद दीक्षित