कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ़ इंडिया (CSI), इंदौर चैप्टर द्वारा छठी नेशनल कार्डियो प्रीवेन्ट कॉन्फ़्रेन्स 4 और 5 अक्टूबर को इंदौर में आयोजित की जायेगी, जिसमें 350 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट, हेल्थ एक्सपर्ट और रिसर्चर शामिल होंगे। इस वर्ष का विषय “रोड टू द हेल्दी हार्ट” है।
मुख्य संयोजक एवं साइंटिफिक चेयरमैन डॉ ए. के. पंचोलिया ने कहा – भारत में हृदय रोग अब केवल शहरी समस्या नहीं रह गया है, बल्कि छोटे कस्बों और गाँवों तक फैल चुका है। भारत में ह्रदय रोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इनकी रोकथाम बहुत ज़रूरी है। इसके लिए रक्तचाप, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर्स को रोकना और नियंत्रित करना होगा। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रदूषण और मोटापे के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। कॉन्फ़्रेन्स में मोटापे पर तीन और टीकाकरण एवं हृदय रोग पर एक – एक सत्र रखा है। देशभर और अमेरिका से विशेषज्ञ इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।
ऑर्गेनाईसिंग चेयरमैन डॉ विद्युत जैन ने बताया यह कॉन्फ़्रेन्स केवल डॉक्टरों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश देगी कि संतुलित जीवनशैली, समय पर जांच और जागरूकता ही हृदय रोगों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। रविवार 5 अक्टूबर को सुबह 8 – 9 बजे सुपरस्पेशल्टी अस्पताल में एक जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं, जहाँ हमारे विशेषज्ञ हृदय रोगों की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देंगे।
ऑर्गेनाईसिंग सेक्रेटरी डॉ राकेश जैन ने बताया भारत में बड़ी संख्या में किशोर और युवा WHO के स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, और 71% लोग अस्वस्थ आहार लेते हैं। इसका सीधा असर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे पर पड़ रहा है। प्रदूषण भी हृदय रोगों का एक बड़ा कारण बन गया है — 1998 से 2021 तक प्रदूषण 68% प्रति वर्ष की दर से बढ़ा है और दिल्ली जैसे शहरों की हवा गंभीर रूप से जहरीली हो चुकी है। धूम्रपान की लत कम उम्र में शुरू हो रही है और अब यह एक स्टेटस सिंबल बन गया है। शहरी क्षेत्रों में हृदय रोग 12% तक पहुँच चुके हैं, और 45 साल से कम उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। नींद की कमी, खासकर बच्चों और किशोरों में, एक और बड़ा जोखिम है। वहीं बुजुर्गों को एक साथ कई दवाइयाँ लेने (पॉलीफार्मेसी) की समस्या से जूझना पड़ रहा है, जिससे दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं।
कॉन्फ़्रेन्स में वैज्ञानिक सत्र और इंटरऐक्टिव वर्कशॉप्स रखे गए हैं, जिनमें हाइपरटेंशन, मोटापा, डायबिटीज़, कार्डियक इमेजिंग, वरिष्ठ नागरिकों की हार्ट केयर गाइडलाइन्स और लाइफ़स्टाइल डिज़ीज़ की रोकथाम जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान एक्सपर्ट अपने अनुभव और नवीनतम रिसर्च साझा करेंगे।
यह कॉन्फ़्रेन्स हृदय स्वास्थ्य की दिशा में एक नई सोच और ठोस कदम का प्रतीक बनेगी। इस कॉन्फ़्रेन्स का उद्देश्य डॉक्टरों और आम जनता को यह संदेश देना है कि रोकथाम ही सबसे प्रभावी इलाज है। नए विचारों, रिसर्च और उपयोगी मार्गदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।