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भाई ने ये लकड़ी क्यों उठाई ….!
@प्रकाश भटनागर सीहोर में रुद्राक्ष महोत्सव के रूद्र जाम को लेकर कैलाश विजयवर्गीय इतने क्रुद्ध क्यों हैं? इससे भी बड़ा सवाल यह कि विजयवर्गीय इस मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
अलविदा चौकसे जी…आप फिल्मों के इनसाइक्लोपीडिया थे
@ राजेश ज्वेल 2 जून 1988 को शोमैन राज कपूर ने एक माह के जीवन-मौत से संघर्ष बाद आधी रात को अंतिम सांस ली थी… तब मैं दैनिक भास्कर में
जयप्रकाश चौकसे अपनी अनूठी शख्सियत के लिए हमेशा याद आएंगे
अर्जुन राठौर जयप्रकाश चोकसे हमारे बीच नहीं रहे वास्तव में बेहद दुखद खबर है और कुछ दिनों पहले ही दैनिक भास्कर में उनका स्तंभ पर्दे के पीछे इस असमर्थता के
और अंततः ‘खाकसार’ जिन्दगी का ‘हादसा’ रचकर खाक में जा मिला!
जयराम शुक्ल कोई चार दिन पहले ही भास्कर में छपने वाले ‘परदे के पीछे में’ अपने स्तंभ को स्थगित करते हुए वादा किया था कि फिलहाल विदा ले रहे हैं
आखिर क्यों नहीं हुआ इंदौर के हजार साल पुराने मंदिर का विकास
(राजेश राठौर) Indore News : इंदौर के लोग धार्मिक मामलों में कितने आगे है ये पूरा देश जानता है लेकिन इंदौर (Indore) के देवगुराड़िया (Devguradiya) स्थित हजार साल पुराने शिव
सुनी सुनाई : मप्र में सक्रियता बढाएंगे सिंधिया
रवीन्द्र जैन मप्र में सक्रियता बढाएंगे सिंधिया – केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चार साल पहले मप्र के एक वरिष्ठ पत्रकार ने सलाह दी थी कि यदि उन्हें मप्र का
राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी : उत्तर प्रदेश के चुनाव से मध्यप्रदेश का कोई संबंध नहीं है
अरविंद तिवारी वैसे सीधे तौर पर तो उत्तर प्रदेश के चुनाव से मध्यप्रदेश का कोई संबंध नहीं है, लेकिन न जाने क्यों वहां के चुनावी नतीजों का मध्यप्रदेश भाजपा के
मध्यप्रदेश में मज़बूरी या जरूरी है शिवराज सिंह चौहान
राजेश राठौर पांव-पांव वाले शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) के बारे में 5 साल से कहा जा रहा है कि अब हटे लेकिन शिवराज ने इस बात को
यूक्रेन पर हमला: क्या यह ‘नाजीवाद’ और ‘नवनाजीवाद’ की लड़ाई है?
अजय बोकिल आज जबकि हम दुनिया में दो महाशक्तियों के वर्चस्व की लड़ाई में एक और हंसते-खेलते देश यूक्रेन को बर्बाद होते देख रहे हैं तथा इस थोपे गए युद्ध
महेश्वर में “नर्मदा साहित्य मंथन” का आयोजन, 3 दिनों तक सजेंगी साहित्य के इन दिग्गजों की महफ़िल
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश(Sahitya Akademi Madhya Pradesh) एवं विश्व संवाद केंद्र मालवा के संयुक्त तत्वावधान में माँ नर्मदा के तट पर बसी आध्यात्मिक एवं एतिहासिक नगरी महेश्वर में “नर्मदा साहित्य मंथन(Narmada
हफ्ते की छुट्टी का सच और उसके मायने
काम की छुट्टी को लेकर हिंदुस्तान में बरसों से बात चल रही है। आजादी के पहले तो ऐसा कोई कंफर्म सिस्टम नहीं था लेकिन बाद में अंग्रेजो के सौंपे हुए
क्या पुतिन और मोदी के सपने एक जैसे नहीं हैं ?
श्रवण गर्ग यूक्रेन को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं और भाजपा के लिए यूपी के चुनावों के महत्व बीच कॉमन क्या तलाश किया जा सकता है?
नामचीन शायरों और कवियों की रचनाओं में कई निहितार्थ छुपे होते है – आनंद शर्मा
आनंद शर्मा नामचीन शायरों और कवियों की रचनाओं में कई निहितार्थ छुपे होते है जो उन अर्थो से अलग होते है जो सामान्यतः हम कविता पढ़ कर जान पाते है
सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी
(प्रवीण कक्कड़) इस संसार में हर व्यक्ति कोई ना कोई मुकाम हासिल करना चाहता है। तरक्की करना चाहता है। जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता है। यह मनुष्य की सहज प्रवृत्ति
Gangubai Kathiawadi Review: मां और शिक्षा का संगम है गंगूबाई काठियावाड़ी में
पढ़िए नए अंदाज में अब फिल्म समीक्षा सिर्फ घमासान डॉट कॉम पर… (राजेश राठौर) Gangubai Kathiawadi Review : फिल्में बनती इसलिए है ताकि कलाकारों से लेकर मजदुर तक को काम
भाईचारे को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह में है महात्मा गांधी जैसी प्रतिबद्धता, हर काम में झलकती है गांधी जी की छवि
योगेन्द्र सिंह परिहार महात्मा गांधी जी का नाम ज़हन में आते ही उनके संघर्षकाल के जीवन की कई तस्वीरें सामने आने लगती हैं। सुबह जल्दी उठना, योग-व्यायाम करना, स्वच्छता बनाये
भारत की सुस्ती और यूक्रेन से सीधी विमान सेवा न होने के कारण फँस गए हज़ारों छात्र
रविश कुमार यूक्रेन से अपने नागरिकों के निकलने की एडवाइज़री जारी करने में भारत ने काफी देर कर दी। 24 जनवरी को आस्ट्रेलिया ने और 11 फरवरी को 11 फरवरी
जयप्रकाश चौकसे : ‘परदे के बाहर’ आ जाने का स्वागत है !
-श्रवण गर्ग जयप्रकाश चौकसे जी के व्यक्तित्व और उनकी उपस्थिति को ‘परदे के पीछे ‘ से इतर भी देखने वाले नज़दीकी मित्रों के लिए यह एक बड़ी और अच्छी खबर
कभी अलविदा न कहना
जयराम शुक्ल यह मेरे जैसे न जाने कितने प्यासे पाठकों के लिए भावुक क्षण है। जयप्रकाश चौकसे जी का कालम ‘परदे के पीछे’ कल से पढ़ने को नहीं मिलेगा। दैनिक
माता-पिता : धरती के भगवान
बाज़ार में बड़ी आसानी से मिल जाता है सब कुछ,लेकिन न तो माँ जैसी जन्नत मिलती है न बाप जैसा साया। सच्चे ज्योतिषी दुनिया में बस दो ही हैं ,मन