भोपाल, 29 नवंबर 2021
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने आज जारी अपने एक बयान में बताया कि ख़ुद को आदिवासी वर्ग का सबसे बड़ा हितैषी बताने वाली भाजपा और उनके मंत्री सत्ता के नशे में इतने बौरा गये हैं कि वे आज आदिवासी वर्ग के महानायक टंटया भील को लुटेरा बता रहे हैं। सलूजा ने कहा कि मध्य प्रदेश का मंत्रिमंडल किसी सर्कस के अजूबे से कम नहीं है , प्रदेश के मंत्री लगातार बेतुके बयानों से प्रदेश को देश भर में शर्मसार करते रहते हैं।एक तरफ तो भाजपा ख़ुद को आदिवासी वर्ग का सच्चा हितैषी बताते हुए तमाम आयोजन कर रही है।
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भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजाति गौरव दिवस मनाती है, वहीं 4 दिसंबर को महानायक टंट्या भील के बलिदान दिवस पर बड़ा आयोजन करने की बात कह रही है, उसको लेकर गौरव यात्रा निकाली जा रही है और वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल महान क्रांतिकारी महानायक टंट्या भील को लुटेरा बता रहे है।प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जिनके ऊपर कई भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप लगे हुए हैं , को टंटया मामा के समान बताते हुए , उन्हें टंटया मामा का पुनर्जन्म बता रहे है ? श्री सलूजा ने कहा कि व्यापम घोटाला, पेंशन घोटाला, नर्मदा सेवा यात्रा घोटाला, नर्मदा पौधारोपण घोटाला, डंपर घोटाला, ई-टेंडर घोटाला जैसे तमाम घोटालों के आरोप शिवराज सिंह पर पर लगे हैं, उनकी तुलना महान क्रांतिकारी ,आदिवासी नेता ,महानायक टंट्या भील से करना और यह कहना कि शिवराज सिंह जी के रूप में टंट्या भील का पुनर्जन्म हुआ है ,यह पूरे आदिवासी वर्ग का और उस महानायक का भी अपमान है, जिसने इस देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दी। मंत्री अपने बयान में कह रहे हैं कि टंट्या भील बड़े लोगों को लूटते थे, ऐसा कहकर वह उन्हें लुटेरा बताकर उनका अपमान कर रहे हैं।
सलूजा ने कहा कि जहां एक तरफ तो भाजपा खुद को आदिवासी वर्ग का हितेषी बता रही है, वहीं उनके मंत्री लगातार आदिवासी वर्ग का अपमान कर रहे हैं।एनसीआरबी के आंकड़ों में मध्यप्रदेश का नाम आदिवासी वर्ग के उत्पीड़न व अत्याचार की घटनाओं में देश में शीर्ष पर आया है। प्रदेश में नेमावर से लेकर खरगोन, नीमच, बालाघाट, डबरा सहित अन्य जिलो आदिवासी उत्पीड़न की घटनाएं हुई है।भाजपा नेताओ का रवैया आदिवासी विरोधी रहा है। सलूजा ने कहा कि मंत्री का यह बयान निश्चित तौर पर आदिवासी वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है क्योंकि जिस महानायक को आदिवासी वर्ग पूजता है, उनसे एक राजनीतिक व्यक्ति की तुलना करना सिर्फ और सिर्फ चाटूकारिता और मंत्री द्वारा अपने नंबर बढ़ाने वाला काम है।
मंत्री के बयान से आदिवासी वर्ग की भावनाएं आहत हुई है, इसको लेकर तत्काल भाजपा के नेतृत्व को पूरे आदिवासी वर्ग से माफी मांगना चाहिए और भाजपा को 4 दिसंबर को टंट्या भील के बलिदान दिवस पर एक प्रायश्चित व माँफी सभा का आयोजन करना चाहिए तथा प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए।