सत्तारूढ़ दल के नेताओं को क्या व्यवस्था से छेड़छाड़ की है इजाज़त? – नितिनमोहन शर्मा

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जगत प्रसिद्ध राजा महाँकाल के दरबार मे अराजकता फैलाने वाले नेताओं पर राजनीतिक रूप से तो सजा मुकर्रर हो गई लेकिन मंदिर प्रबंधन और पुलिस व्यवस्था भंग करने वालो पर प्रकरण दर्ज अब तक नही हुआ है। इसके पहले जिसने भी मन्दिर की दर्शन व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया, उसके खिलाफ तुरत फुरत कार्रवाई हुई। मन्दिर प्रबन्धन ने भी इसे तत्परता से लिया और पुलिस प्रकरण तक दर्ज करवाया।

लेकिन इस बार वो हाथ पर हाथ बांधे क्यो बैठा है। नियमित नियम कायदों से दर्शन करने वाले श्रद्धालु सवाल कर रहे है कि मन्दिर प्रबन्धन किसका इंतजार कर रहा है? किसकी इजाजत की बाट जोही जा रही है? जबकि भाजपा स्वयम ने अपने 18 नेताओं पर कार्रवाई कर स्प्ष्ट कर दिया कि इन नेताओं में मन्दिर के नियमो को तोड़ा ओर नन्दीगृह मे अराजकता फैलाई। इसके बाद नियमित आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला सहित उन सभी भाजयुमो नेताओ पर भी प्रकरण दर्ज हो जिन्होंने नियम विरुध्द जाकर दर्शन करने का प्रयास किया।

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भाजपा की यूथ विंग भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के आगमन के समय महांकाल मन्दिर परिसर में मोर्चा नेताओ में ये हंगामा किया था। मोर्चा नेताओ में नंदी हाल के आसपास के बेरिकेड्स तोड़ दिए थे और सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई तक की थी। बेरिकेड्स हटाकर नेता गर्भगृह तक पहुंच गए। जबकि गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित है। आम आदमी को तो महीनो से गर्भगृह में प्रवेश ही नही दिया जा रहा है। उल्टा 1500 रुपये का भारी भरकम शुल्क भी लगा दिया। यानी आम आदमी की पहुंच को भगवान तक आने से पूरी तरह रोक दिया लेकिन नेताओ के लिए हर बार नियम कायदे ताक में रखे जा रहे है।

हाल ही में इन्दोर के विधायक रमेश मेंदोला ने भी गर्भगृह में जाकर दर्शन किये। इसकी खबर जब वायरल हुई तो लगा कि मन्दिर प्रबन्धन कार्रवाई करेगा। कार्रवाई तो हुई लेकिन विधायक मेंदोला की जगह उन कर्मचारियों पर हुई जिन्होंने नेताजी के दर्शन सहज सुलभ करवाने में मदद की थी। ये घटना अभी मुकाम तक पहुंची भी नही थी कि मोर्चा नेताओ का बखेड़ा सामने आ गया।

मोर्चा नेताओ की महाँकाल दरबार मे की गई हरकत ओर उससे उपजे जन आक्रोश ने भाजपा को गुस्से से भर दिया। मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष वैभव पंवार तक को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा की फटकार लग गई। उसके बाद पंवार ने सख्त कार्रवाई करते हुए भाजयुमो के 18 नेताओ को पद से हटा दिया। इसमे उज्जैन नगर अध्यक्ष और उज्जैन ग्रामीण अध्यक्ष तक शामिल है। नागदा के मंडल अध्य्क्ष भी बर्खास्त कर दिये गए।

भाजपा ने तो अपने उद्दंड नेताओ पर सख्त कार्रवाई कर दी लेकिन मन्दिर प्रबन्धन ओर उज्जैन जिला प्रशासन इस मुद्दे पर मौन बैठा है। मेंदोला के मामले में उसने मन्दिर के कर्मचारियों पर तो कार्रवाई की लेकिन विधायक मेंदोला ओर मोर्चा के नगर व जिला अध्यक्ष सहित 18 नेताओ को खुला छोड़ दिया। उज्जैन जिला प्रशासन और मन्दिर प्रबन्धन के इस कदम की उज्जैन में ही आलोचना हो रही है कि अगर नेताओ को इसी तरह छोड़ दिया तो ये अराजकता कम होने की बजाय ओर बढ़ेगी। इसके पहले भी इन्दोर के नेता कैलाश विजयवर्गीय रमेश मेंदोला ओर आकाश विजयवर्गीय के कारण भस्म आरती में विवाद हुआ था। तब आरती तक मे विलम्ब हो गया था लेकिन तब भी मामले की लीपापोती कर छोड़ दिया गया था। अब जबकि स्वयम भाजपा ने कार्रवाई कर ये साबित कर दिया कि उनके नेताओ से गलती हुई थी तो फिर प्रकरण दर्ज करने में लेतलाली क्यो?