Bharat Jodo Yatra में नहीं शामिल होंगे अखिलेश और मायावती ! 3 जनवरी को यूपी में होगी एंट्री

mukti_gupta
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राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo यात्रा) 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। इस बीच यात्रा से यूपी के विपक्षी नेताओं के दूरी बनाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और बीएसपी प्रमुख मायावती (Mayawati) भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी को यात्रा के उत्तर प्रदेश पहुंचने पर इसमें शामिल होने का न्योता भेजा है, लेकिन इन तीनों का ही इसमें शामिल होना मुश्किल है।

मायावती ने 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देने की अपील की थी

बसपा प्रमुख मायावती हालिया समय में कांग्रेस की कट्टर विरोधी रही हैं, ऐसे में उनका यात्रा में शामिल न होना कोई अप्रत्याशित बात नहीं है। 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने लोगों से कांग्रेस को वोट न देने की अपील करते हुए कहा था कि इससे केवल भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा होगा। मायावती हालिया समय में भाजपा के नजदीक भी गई हैं और कई मुद्दों पर उन्होंने भाजपा से मिलती-जुलती भाषा बोली है।

अखिलेश यादव का भी यात्रा में शामिल होना मुश्किल

 अखिलेश यादव का यात्रा में शामिल होना मुश्किल है, लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वह अपने प्रतिनिधि के तौर पर सपा के किसी नेता को भेजेंगे या नहीं। पार्टी प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने चैनल से कहा कि सपा भारत जोड़ो यात्रा के विचार का समर्थन करती है, लेकिन संभावित राजनीतिक गठजोड़ की अटकलों को हवा देकर वह इसे खराब नहीं करना चाहती।

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वहीं RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने बताया कि किसी अन्य कार्यक्रम में व्यस्तता के कारण भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे। बता दें राहुल तमाम कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल मार्च कर रहे हैं जिसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम दिया गया है। 3,570 किलोमीटर की यह यात्रा तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली से होकर जा चुकी है।

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इस यात्रा का मकसद मोदी सरकार में बढ़ रही आर्थिक असमानता, जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ देश को एकजुट करना है।