Indore : जोगी के बाद दूसरे ऐसे कलेक्टर मनीष सिंह जिन्हे इंदौर से मिला अपनापन

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Indore : इंदौर में 1980 से लेकर 1985 तक 5 साल कलेक्टर रहे अजीत प्रमोद कुमार जोगी(Ajit Pramod Kumar Jogi) के बाद लगभग 20 कलेक्टर इंदौर आ चुके होंगे। लेकिन किसी को भी इंदौर के लोगों से इतना अपनापन नहीं मिला जो वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह को मिल रहा है। कारण स्पष्ट है की मनीष सिंह ने हमेशा इंदौर के विकास में अपना संपूर्ण योगदान दिया। वही इंदौर के लोगों को उन्होंने भी हमेशा अपनापन दिया। मनीष सिंह इंदौर में एडीएम, मंडी सचिव, इंदौर विकास प्राधिकरण के सीईओ नगर निगम आयुक्त और फिर कलेक्टर रहते हुए लगभग 20 वर्ष इंदौर में बिता चुके हैं।

इंदौर के गली मोहल्ले से लेकर बड़े से बड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजनीतिक नेताओं व्यवसायिक संगठनों समाजों के वरिष्ठ जनों से वे पूरी तरह से परिचित हैं। किसी को भी कोई भी समस्या होती है तो वह अपना अधिकार समझ कर मनीष सिंह के पास पहुंच जाता है और मनीष सिंह मदद करने में कभी पीछे नहीं हटते हैं। वहीं पत्रकारिता जगत में तो उनके चाहने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। मनीष सिंह हमेशा मिशन मोड में काम करते हैं यही कारण है कि किसी भी मिशन को वह कामयाब कर करके ही चैन लेते हैं।

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इंदौर में भले ही स्वच्छता का काम हो, आवारा पशुओं को शहर से बाहर करना हो, गुंडों पर नकेल कसना हो, होर्डिंग माफियाओं को नेस्तनाबूद करना हो, जमीन माफियाओं को बेनकाब करना हो या प्लाट की धोखाधड़ी करने वालों को जेल पहुंचाना हो, गरीब बेसहारा वृद्धजनों के मकान दुकान खाली कराकर न्याय दिलाना हो मनीष सिंह हर मिशन में अब तक कामयाब ही रहे हैं। शहर के मध्य क्षेत्र में चौड़ी चौड़ी सड़कें उनकी ही सोच का परिणाम है । राशन माफियाओं और मिलावटखोरों को उन्होंने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया।

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इन सब उपलब्धियों को देखते हुए इंदौर के लोगों ने उन्हें इतना प्यार और स्नेह दिया कि वह इंदौर के ही होकर रह गए। इंदौर आज उनके दिल में बसा है । इंदौर कलेक्टर के रूप में उन्होंने आज अपना 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। हालांकि यह कार्यकाल कोविड सँक्रमण से पूरी तरह प्रभावित रहा है लेकिन इसके बावजूद भी कई उपलब्धियां उनके खाते में जाती हैं । अगर नियमों की बाध्यता नहीं होती तो इंदौर के लोग सरकार के सामने यह भी मांग रख देते की मनीष सिंह को इंदौर कलेक्टर पद से कभी नहीं हटाया जाए।