हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के हत्यारे को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके हत्यारे पेरारिवलन (Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है। पेरारिवलन पिछले 31 साल से जेल में था और तमिलनाडु सरकार (TamilNadu Govt) की मांग पर रिहा हुआ है। पेरारिवलन 30 साल से भी ज़्यादा सालों तक जेल में था और उसकी कोई भी शिकायत नहीं आई थी इसलिए उसे रिहा कर दिया गया है। पेरारिवलन की दया याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित हुई रखी ही इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है। इससे पहले 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने पेरारिवलन को रिहा करने का फैसला लिया था, लेकिन राज्यपाल ने इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा था तब से यह पेंडिंग पड़ी थी।
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बार-बार एक ही सवाल उठा रहा था कि क्या हम राज्यपाल कैबिनेट की सलाह के खिलाफ जा सकते हैं? यह एक बेहद ही गंभीर मामला है। इससे संघीय व्यवस्था खराब हो सकती है। कानून से ऊपर कोई नहीं है और ना ही कोई जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘सरकार को हमारे आदेश का पालन करना होगा नहीं तो कोर्ट आदेश पास कर देगा क्यूंकि अगर सरकार कानून का पालन नहीं करेगी तो कोर्ट भी आंखें बंद करके नहीं बैठा है। हमारी नज़र में कानून से बढ़कर कोई नहीं है और ना ही कोई हो सकता है।’ केंद्र से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह भी पूछा गया कि क्या राज्य के राज्यपाल के पास राज्य मंत्रिमंडल के माध्यम से भेजी गई मांग को बिना फैसला लिए राष्ट्रपति को भेज सकते है ?
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