भगवान महावीर का 2548 वां निर्वाणोत्सव, जाने निर्वाण लाडू का महत्त्व

Akanksha
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इन्दोर / जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर , अहिंसा पथ प्रदर्शक भगवान महावीर का 2548 वा निर्वाणोत्सव कार्तिक कृष्ण अमावस 4 नवम्बर को मनाया जाएगा । इस अवसर पर सभी जिन मंदिरों में प्रातः पूजन कर निर्वाण लाडू चढ़ाए जाएंगे। उक्त जानकारी देते हुए दिगम्बर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष नरेंद्र वेद व प्रवक्ता मनीष अजमेरा ने बताया कि 4 नवम्बर को निर्वाणोत्सव, गौतम गणधर स्वामी का केवल ज्ञान दिवस व दीपावली मनाई जाएगी। इस अवसर पर जिनालयों पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है ।

सभी जिनालयों पर प्रातः निर्वाण कांड पूजा व विधि विधान के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाए जाएंगे। भगवान को लड्डू अर्पित करने के पीछे यह भाव होता है कि जैसे लड्डू गोल होता है , जिसका न आरम्भ है न अंत है उसी प्रकार हमारी आत्मा का भी न आरम्भ है न अंत। निर्वाण लाडू बनाते समय बूंदी को कढ़ाई में तपना पड़ता है और तपने के बाद उन्हें चाशनी में डाला जाता है उसी प्रकार अखंड आत्मा को भी तप की आग में तपना पड़ता है तभी मोक्ष रूपी चाशनी की मधुरता मिलती है।उसी दिन यह आत्मा जगत को प्रिय लगने लगती है।