Indore: हैथवे BTV स्टाफ के लिए मुसीबत, चैनल पर लगा फुल स्टॉप

Akanksha
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वॉट्स एप पर खबर वॉयरल रही कि HBTV यानी हैथवे बीटीवी चैनल ने इंदौर में अपना काम समेट लिया है। चालीस सदस्यों वाले स्टॉफ के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।असलियत इसके एकदम उलट है। जिस तरह यह चैनल बंद हुआ है वैसे ही वो उन सारे एमएसओ को 15 अक्टूबर से पहले काम समेटना ही होगा जो केबल नेटवर्क में न्यूज चैनल चला रहे हैं। केंद्र सरकार ने बिना न्यूज चैनल कंपनी का लायसेंस लिए न्यूज का कारोबार करने वालों को 15 अक्टूबर तक चैनल बंद करने की समय सीमा दे रखी है।

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हैथवे बीटीवी चैनल का संचालन राजन गुप्ता के नेतृत्व में मुंबई से होता है।15 अक्टूबर की डेड लाईन से पहले 30 सितंबर से ही उन्होंने इंदौर सहित देश में अन्य जगहों पर चल रहे न्यूज चैनल का काम समेट लिया है।कंपनी के एचआर हेड वैभव सोंधी अन्य शहरों में स्टॉफ से सीधी चर्चा के तहत इंदौर भी आए थे। हैथवे बीटीवी बंद होने के संबंध में इंदौर स्टॉफ के सदस्यों का कहना है कि एचआर हेड वैभव सोंधी ने 30 सितंबर से चैनल बंद करने की जानकारी देने के साथ ही स्पष्ट कर दिया था कि केंद्र सरकार की एमएसओ के संबंध में जो नई नीति है उसके तहत न्यूज चैनल का प्रसारण बिना लायसेंस के करना गैरकानूनी माना जाएगा।इसलिए 15 अक्टूबर की अपेक्षा 30 सितंबर से ही न्यूज़ का प्रसारण बंद करने के साथ संपूर्ण स्टाफ को भी दायित्व मुक्त कर रहे हैं।

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कंपनी ने स्टॉफ के सभी सदस्यों को 6 माह की ग्रॉस सेलरी के साथ ही ग्रैच्युटी-पीएफ, इंक्रीमेंट आदि का भुगतान भी कर दिया है। छोटे से छोटे कर्मचारी ने भी चैनल बंद के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट आदि में जाने का मन बनाने की अपेक्षा 6 माह की ग्रॉस सेलरी सहित अन्य हित लाभ की सुविधा को बेहतर मान कर निर्णय मानने में ना नुकर नहीं की।एक महीने पहले ज्वाइन करने वाले कैमरामेन को भी वही सारा भुगतान हुआ है जो वर्षों से काम कर रहे अन्य सदस्य को।

मैंने जब चैनल हेड हरीश फतेचंदानी से पूछा तो उन्होंने स्वीकारा कि एक अक्टूबर से चैनल का प्रसारण नहीं होगा।यह निर्णय मुंबई स्थित कंपनी मुख्यालय का है, मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।

इससे पहले नईदुनिया स्टॉफ के समक्ष बने थे ऐसे हालात

हैथवे बीटीवी चैनल के बंद होने से अधिक सनसनी तब फैली थी जब बाबू लाभचंद छजलानी द्वारा स्थापित और प्रधान संपादक अभय छजलानी की देखरेख में निकल रहे ‘नईदुनिया’ को जागरण पत्र समूह को बेचने का सौदा विनय छजलानी ने किया था।यह सौदा देश-विदेश के मीडिया घरानों को चौंकाने वाला था। नईदुनिया में अपनी जवानी खपाने के बाद बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचे ‘नईदुनिया परिवार’ के इन सदस्यों में अधिकांश को तीन माह तो कुछ को चार माह की बेसिक तनख्वाह, पीएफ-ग्रैच्युटी के चेक थमा कर विदा कर दिया गया था।