जमीन सत्यापन नियम में हुआ बड़ा बदलाव, अब चार साल की जगह रजिस्ट्री के 3 महीने में हो जाएगा काम

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By Abhishek SinghPublished On: November 19, 2025

रजिस्ट्री के बाद जमीन और संपत्ति का भौतिक सत्यापन अब तीन महीने के भीतर अनिवार्य होगा। पहले यह प्रक्रिया पंजीयन के बाद चार साल तक मान्य रहती थी। स्टांप एवं पंजीयन विभाग द्वारा किए गए इस संशोधन से भौतिक सत्यापन के नाम पर होने वाली अनावश्यक परेशानियों पर रोक लगने की उम्मीद है। इस निर्देश को महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा ने सभी उपनिबंधकों तक जारी कर दिया है।



चार साल तक स्थलीय सत्यापन की अवधि रहने से, इस दौरान जमीन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर स्टांप चोरी का प्रकरण दर्ज कर दिया जाता था। इसी प्रावधान के कारण आम लोगों से वसूली की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं। स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि स्थलीय निरीक्षण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से नियमों में संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि चार वर्ष की लंबी अवधि में अधिकांश मामलों में संपत्ति की प्रकृति बदल जाती थी, जिससे अनावश्यक विवाद उत्पन्न होते थे।

उदाहरण के तौर पर, यदि भूखंड की रजिस्ट्री उस समय की जाए जब जमीन खाली हो, और कई वर्षों बाद होने वाले सत्यापन में उस पर निर्माण पाया जाए, तो जांच अधिकारी रजिस्ट्री के समय की स्थिति को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार करते हैं, जिसके चलते स्टांप चोरी का मामला दर्ज कर दिया जाता है। लोगों को हो रही इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए नियमों में संशोधन किया गया है।

लंबी सत्यापन अवधि से होने वाली परेशानियों पर लगेगी रोक

स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि चार वर्षों की लंबी अवधि में भूखंड या संपत्ति में बदलाव स्वाभाविक है, लेकिन इसी कारण आम नागरिक अनावश्यक परेशानियों का सामना कर रहे थे। लोगों को राहत देते हुए अब यह प्रावधान किया गया है कि रजिस्ट्री के बाद तीन महीने के भीतर ही (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर) स्थलीय निरीक्षण पूरा किया जाए। उनके अनुसार, इस निर्णय से अदालतों में लंबित होने वाले मामलों की संख्या में भी कमी आएगी।

रैंडम निरीक्षण के लिए मासिक लक्ष्य तय

रजिस्ट्री के यादृच्छिक निरीक्षण के लिए अब स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। शासन ने निर्देश जारी करते हुए जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी और सहायक महानिरीक्षक निबंधन को प्रत्येक माह क्रमशः 5, 25 और 50 दस्तावेज़ों की जांच सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही उपनिबंधकों को भी इस प्रक्रिया में अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है।

इसी दिशा में अब यह लक्ष्य तय किया गया है कि बाजार मूल्य के आधार पर देव स्टांप शुल्क वाले लेखपत्रों में से हर महीने सदर उपनिबंधक 20 और तहसील स्तर पर तैनात उपनिबंधक 10 पंजीकरणों का सत्यापन करेंगे। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यह निरीक्षण स्वयं उपनिबंधकों द्वारा किया जाना चाहिए और किसी भी हालत में उनके अधीनस्थों को यह जिम्मेदारी सौंपना उचित नहीं होगा।