भोपाल में प्रस्तावित पश्चिमी बायपास (Western Bypass) प्रोजेक्ट की नई डिजाइन तैयार की गई है। इस नई योजना के कारण अब 12 गांवों के करीब 400 से अधिक भू-स्वामियों की लगभग 85 हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। पहले 2024 में जो अधिग्रहण तय हुआ था, उसे अब बदला जा रहा है। नए प्रस्ताव के तहत करीब 225 हेक्टेयर जमीन पर काम किया जाएगा, जिसमें से 166 हेक्टेयर जमीन नई शामिल की गई है।
अधिग्रहण का बढ़ा बजट
डिजाइन और अधिग्रहण में बदलाव के कारण इस प्रोजेक्ट का खर्च भी बढ़ गया है। पहले जमीन अधिग्रहण के लिए 427 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन अब यह बढ़कर 470 करोड़ रुपए हो गया है। यह सिर्फ जमीन अधिग्रहण का खर्च है। पूरे पश्चिमी बायपास प्रोजेक्ट की लागत करीब 3000 करोड़ रुपए आंकी गई है। यह बायपास भोपाल को सीधे नर्मदापुरम रोड से जोड़ते हुए इंदौर रोड तक पहुंचाएगा, जिससे शहर में ट्रैफिक दबाव कम होगा।
प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी
प्रशासन ने मार्च 2025 तक लगभग 255 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। लेकिन अब डिजाइन में बदलाव से करीब 30 हेक्टेयर कम जमीन की आवश्यकता होगी। इसके बावजूद नए रूट के चलते करीब 92 हेक्टेयर नई जमीन को अधिग्रहण की प्रक्रिया में जोड़ा गया है। इस लेटलतीफी के कारण अधिग्रहण के खर्च में ही करीब 43 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वृद्धि हो गई है।
35 किलोमीटर लंबा होगा बायपास
अगस्त 2025 में पश्चिमी बायपास के लिए संशोधित योजना को मंजूरी दी गई। इस नई योजना के अनुसार:
• बायपास की लंबाई 35 किलोमीटर तय हुई है।
• इसमें 25 गांवों की जमीन शामिल होगी।
• कुल 225 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
• जमीन अधिग्रहण की लागत 470 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
यह संशोधित प्रस्ताव न केवल लंबाई बल्कि जमीन अधिग्रहण और बजट दोनों दृष्टि से पहले की तुलना में बड़ा हो गया है।
रूट में किए गए बदलाव
नई डिजाइन के अनुसार बायपास को रतनपुर रोड से जोड़कर कोलार, रातीबड़ होते हुए देवास रोड पर फंदा कला से जोड़ा जाएगा। प्रशासन का कहना है कि यह बदलाव प्रोजेक्ट की मांग और तकनीकी जरूरतों के अनुसार किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, सड़क निर्माण कार्यों में समय-समय पर इस तरह के बदलाव होते रहते हैं और विभाग इसके लिए पूरी तरह तैयार है।