उद्योग जगत के दिग्गजों और कई रिपोर्टों ने इस बात को उजागर किया है कि, स्नातकोत्तर छात्रों को ‘उद्योग जगत के लिए तैयार’ नहीं कर पाना एक बड़ी खामी है, जिससे शिक्षा और उद्योग जगत के बीच खाई बढ़ती है।
एआई के जरिए नियुक्ति की प्रक्रिया को स्वचालित बनाने वाली कंपनी, हायरप्रो के एक अध्ययन के अनुसार, जहाँ ७०% शिक्षण संस्थानों को लगता है कि उनके स्नातक पहले दिन से ही नौकरी के लिए तैयार हैं, वहीं सिर्फ़ १६% कंपनियाँ ही इस बात से सहमत हैं।
SVKM के NMIMS स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (SBM), इंदौर ने इसी अंतर को दूर करने के लिए अपनी तरह का पहला उद्योग सलाहकार बोर्ड (IAB) गठित किया है, जिसमें वित्त, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, एफएमसीजी, प्रौद्योगिकी और परामर्श सहित अन्य क्षेत्रों के १६ वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता शामिल हैं। IAB का उद्देश्य अकादमिक क्षेत्र तथा उद्योग जगत की बदलती ज़रूरतों के बीच बेहतर तालमेल बनाना है, जिससे यह इस क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर सके। IAB में अपोलो हॉस्पिटल्स, आरबीएल बैंक, पीटीसी इंडिया, उजास एनर्जी, इंडो थाई सिक्योरिटीज, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड और ग्रांट थॉर्नटन इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ-साथ ओटिस एलिवेटर कंपनी जैसी वैश्विक कंपनियों की सहायक कंपनियों के जाने-माने विशेषज्ञ शामिल हैं।
IAB में मार्गदर्शन के लिए संस्थान परिसर से श्री अखिलेश राठी (चांसलर के नोमिनी), श्री अरविंद बॉठिया (मेंटर) और श्री अजय बांकड़ा (मेंटर) शामिल होंगे, जबकि डॉ. अंशुमान जैसवाल (डायरेक्टर) और डॉ. निरंजन शास्त्री (फैकल्टी-इन-चार्ज – IAB) शिक्षा जगत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
इस अवसर पर NMIMS इंदौर के डायरेक्टर, डॉ. अंशुमान जैसवाल ने कहा, “इस बोर्ड की स्थापना से जाहिर होता है कि, हम उद्योग जगत की ज़रूरतों और अकादमिक शिक्षा के बीच के अंतर को दूर करने के अपने संकल्पों पर कायम हैं। अनुसंधान, मार्गदर्शन, पाठ्यक्रम समीक्षा और प्रशिक्षुता के जरिए अकादमिक शिक्षा को सबल बनाना, साथ ही छात्रों को ‘उद्योग जगत के लिए तैयार’ बनाने के लिए कंपनियों के साथ सहयोग करना ही IAB का उद्देश्य है।”
मौजूदा प्रगति के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए, IAB के फैकल्टी-इन-चार्ज, डॉ. निरंजन शास्त्री ने कहा, “बीते कुछ सालों में, मैंने देखा है कि उद्योग एवं अकादमिक जगत के बीच का सहयोग, छात्रों की शिक्षा और उनके विकास को आगे बढ़ाने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। इस बोर्ड का गठन सिर्फ एक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह NMIMS में एक ऐसे अकादमिक परिवेश के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य के लिए तैयार हो।”
यहाँ दी गई सिफ़ारिशें विस्तार से हैं:
1. इंटरव्यू से पहले मॉक सेशन करें: इंटरव्यू से पहले मॉक सेशन करने से आपको आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे आप अपने जवाबों को सुधार सकते हैं और इंटरव्यूअर के सवालों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं।
2. कॉमन सेंस विकसित करें और AI पर ज्यादा निर्भर न हों: आज के समय में AI का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपनी सोच और समझ को कम कर देना चाहिए। कॉमन सेंस विकसित करने से आप समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हो सकते हैं।
3. प्रोजेक्ट की गहराई और निष्कर्ष पर ध्यान दें: जब आप कोई प्रोजेक्ट बनाते हैं, तो सिर्फ प्रेजेंटेशन पर ध्यान न दें। प्रोजेक्ट की गहराई और निष्कर्ष पर ध्यान देना जरूरी है। इससे आप अपने प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी दे सकते हैं और इंटरव्यूअर को प्रभावित कर सकते हैं।
4. वास्तविक समस्याओं का अनुभव लें और भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर ध्यान दें: वास्तविक समस्याओं का अनुभव लेने से आप अपनी तकनीकी ज्ञान को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर ध्यान देने से आप अपने रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं और तनाव को कम कर सकते हैं।
5. नेतृत्व के लिए सॉफ्ट स्किल्स जरूरी हैं: नेतृत्व के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स भी जरूरी हैं। सॉफ्ट स्किल्स जैसे कि संचार, टीम वर्क, और समस्या समाधान से आप अपने टीम को लीड कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
इन सिफ़ारिशों को अपनाकर आप अपने करियर में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
आज कार्यक्रम में भाग लेने वाले उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं का संबोधन:
अपोलो हॉस्पिटल्स: अपोलो हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ महाप्रबंधक- लागत निर्धारण, श्री भार्गव एस. ने कहा, “छात्रों के लिए अपनी पसंद के उद्योग में उस क्षेत्र की गहरी जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है, जिसमें वे काम करने का विकल्प चुनते हैं, और प्रबंधन को निर्णय लेने में मदद करने के लिए अपने शैक्षणिक ज्ञान को उपयोग में लाना चाहिए। असल दुनिया में सिर्फ प्रबंधन की बुनियादी बातों की जानकारी होना पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए, असल दुनिया की परियोजनाओं पर काम करने और मार्गदर्शन से छात्रों को अपने कौशल को निखारने में मदद मिलेगी।”
पीटीसी इंडिया: पीटीसी इंडिया लिमिटेड के सीएमडी एवं निदेशक (वाणिज्यिक एवं संचालन) डॉ. मनोज कुमार झावर ने कहा, “ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहा है, क्योंकि इन दिनों स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। छात्रों को नीति, बाज़ार और तकनीक का ज्ञान देकर उन्हें भारत के ऊर्जा भविष्य में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार करना संभव होगा।”
उजास एनर्जी: उजास एनर्जी लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं प्रवर्तक, श्री अनुराग मुंद्रा ने कहा, “भारत के विकास की कहानी का स्वच्छ ऊर्जा से काफी गहरा नाता है। शिक्षा जगत को अपने पाठ्यक्रम में स्थिरता और नवाचार को शामिल करना चाहिए, ताकि स्नातक करने वाले छात्र नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रभावशाली परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकें।”
इंडो थाई सिक्योरिटीज लिमिटेड: इंडो थाई सिक्योरिटीज लिमिटेड के अध्यक्ष, श्री पारसमल दोशी ने कहा, “आज वित्तीय क्षेत्र के कामकाजी पेशेवरों को पारंपरिक बुनियादी सिद्धांतों के साथ-साथ ट्रेडिंग और अनुपालन में एआई जैसी नई तकनीकों में भी माहिर होना चाहिए। यह बोर्ड छात्रों को उस तालमेल की दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है।”
ग्रांट थॉर्नटन भारत / अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क: जीटी भारत की निदेशक, सुश्री नेहा मुंशी ने कहा, “परामर्श का सीधा मतलब है कि समस्याओं को मौके पर ही सुलझाया जाए। छात्रों को शुरुआत से ही उद्योग जगत पर आधारित मामले के अध्ययनों तथा व्यावहारिक शोध से अवगत कराने से किताबी पढ़ाई और असल में निर्णय लेने की क्षमता के बीच के अंतर को कम किया जा सकेगा।”
ओटिस एलिवेटर कंपनी: कंपनी में फाइनेंस सिस्टम आर्किटेक्चर के वरिष्ठ निदेशक, श्री सुरेश के. आहूजा ने कहा, ” धीरे-धीरे संगठन वैश्विक होते जा रहे हैं, जिसे देखते हुए प्रतिभाओं को भी दुनिया के हिसाब से सोचना और कार्य करना चाहिए। इस बोर्ड की तरह के सहयोग से यह सुनिश्चित होता है कि छात्र उद्योग जगत के लिए तैयार होने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनें।