विवाह में आ रही रुकावटों से परेशान हैं? सावन में करें ये टोटके, जल्द बजेगी शहनाई

सावन मास में भगवान शिव की विशेष आराधना से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं। सावन सोमवार का व्रत, रुद्राभिषेक, माता पार्वती की पूजा और कुछ विशेष उपाय शीघ्र विवाह के योग बनाते हैं।

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सावन मास हिन्दू धर्म में एक विशेष आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, जिसे भगवान शिव की आराधना और भक्तिभाव से जोड़ा गया है। यह महीना व्रत, उपवास, तपस्या और शुभ कामनाओं की पूर्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

विशेष रूप से वे लोग, जिनकी कुंडली में विवाह में विलंब या बाधा के योग हैं, उनके लिए सावन किसी वरदान से कम नहीं है। मान्यता है कि इस पवित्र माह में अगर कुछ विशेष उपाय श्रद्धा से किए जाएं, तो शीघ्र विवाह के द्वार खुल सकते हैं।

सावन सोमवार का व्रत

सावन के प्रत्येक सोमवार को उपवास रखने का विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करते हुए शिवलिंग पर शुद्ध जल, दूध, शहद, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करना चाहिए। पूजन के पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करने से माना जाता है कि इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।

लाल गाय को गुड़ वाली रोटी खिलाएं

विवाह में बार-बार आ रही अड़चनों को शांत करने हेतु सावन के किसी भी दिन लाल रंग की गाय को रोटी के साथ थोड़ा सा गुड़ खिलाना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। यह उपाय विशेष रूप से उन जातकों के लिए उपयोगी है जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष या अन्य ग्रहजन्य बाधाएं हों।

रुद्राभिषेक से शांत होते हैं ग्रहदोष

सावन के पावन दिनों में भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराना अत्यंत शुभ माना गया है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर विविध पवित्र वस्तुएं जैसे दूध, दही, घी, मधु, गंगाजल आदि से अभिषेक किया जाता है। इस प्रक्रिया से कुंडली में स्थित विवाह संबंधी दोषों का शमन होता है और विवाह के योग सशक्त बनते हैं।

माता पार्वती की पूजा

माता पार्वती को सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। सावन में देवी को लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, कुमकुम आदि सुहाग सामग्री अर्पित करें। साथ ही प्रतिदिन ‘ॐ ह्रीं गौर्यै नमः’ मंत्र का जप करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और विवाह शीघ्र संपन्न होने की संभावनाएं बढ़ती हैं।

शिव-पार्वती विवाह कथा का श्रवण

सावन में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा का श्रवण या पाठ करना भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह कथा यह बताती है कि किस प्रकार तपस्या, समर्पण और विश्वास से पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त किया। कथा का नियमित श्रवण न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि वैवाहिक जीवन की राह में आ रही विघ्न-बाधाओं को भी शांत करता है।

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