सावन का महीना हमेशा से झमाझम बारिश और रुक-रुककर होने वाली फुहारों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस बार मौसम कुछ और ही कहानी कह रहा है। भीषण गर्मी और उमस अब जलवायु परिवर्तन के गंभीर असर की ओर इशारा कर रही हैं। बीते ग्यारह दिनों से इंदौर शहर में मानसून जैसे रूठ गया हो। जहां प्रदेश के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में बादल बरस रहे हैं, वहीं इंदौर में न गरज सुनाई दे रही है और न ही बूंदें गिर रही हैं। ऐसा लग रहा है मानो बरसात का मौसम अब तक पहुंचा ही नहीं। दोपहर की चिलचिलाती धूप लोगों को बेहाल कर रही है और एक बार फिर पंखे और एसी ही राहत का सहारा बन गए हैं। शुक्रवार की तीखी धूप ने तो गर्मियों की याद ताजा कर दी।
गर्मी ने रातों की नींद भी छीनी
सावन का आगमन हो चुका है, लेकिन न दिन ठंडे हैं और न ही रातों में राहत मिल रही है। ऐसा लग रहा है जैसे न सिर्फ बारिश के बादल, बल्कि ठंडी हवाएं भी इंदौर से रूठ गई हैं। गुरुवार को शहर का अधिकतम तापमान 29.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जुलाई के पहले 10 दिनों में पांच से अधिक बार तापमान 29 डिग्री या उससे ऊपर पहुंच चुका है। हालांकि इस महीने का औसत अधिकतम तापमान 30.2 डिग्री सेल्सियस होता है। गौरतलब है कि 12 जुलाई 1966 को इंदौर में अधिकतम तापमान 39.9 डिग्री दर्ज हुआ था, जो अब तक का एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना हुआ है।

बरसात ने तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड
जून महीने से आरंभ हुए बारिश के मौसम में अभी तक इंदौर में 6 इंच (154.7 मिमी) बारिश हुई है, लेकिन जुलाई माह में अब तक सिर्फ 19 मिमी बारिश ही दर्ज हुई, जो एक इंच से भी कम है। जुलाई माह की औसत वर्षा 310.1 मिमी (करीब 12 इंच) रहती है, लेकिन 11 दिनों में आधा इंच भी बारिश नहीं हुई है। नगर को अभी जुलाई माह के शेष दिनों में 12 इंच वर्षा का इंतजार है।
अरब सागर शांत, मानसून की गति मंद
भोपाल स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में मानसून अच्छी तरह सक्रिय है, लेकिन पश्चिमी क्षेत्र, जिसमें मालवा और निमाड़ शामिल हैं, अब भी अपेक्षित प्रणाली (वेदर सिस्टम) के अभाव में सूखा पड़ा है। अरब सागर में भी कोई मजबूत प्रणाली विकसित नहीं हो रही है, जिससे इस इलाके में वर्षा को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, बढ़ती उमस के कारण कुछ स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। आने वाले दिनों में बादलों की गतिविधियों में इजाफा होने की संभावना है। यदि यह सक्रियता बनी रही, तो 12 से 13 जुलाई के बीच इंदौर और उसके आसपास के जिलों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।
1965-66 के सूखे ने छोड़ी थी गहरी छाप
इंदौर ने 1965 और 1966 जैसे लगातार दो सूखे वर्षों का अनुभव किया है। इन्हीं वर्षों की पानी संकट की गंभीरता ने शहर को नर्मदा जल योजना की दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित किया था। यदि जुलाई महीने के पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि 10 जुलाई के बाद ही सामान्यतः बारिश में बढ़ोतरी होती रही है। ऐसे में पुराने रुझानों को देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में इंदौर में अच्छी बारिश हो सकती है।