गोरखपुर में श्रीराम कथा के समापन अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “जो राम विरोधी है, उसकी दुर्गति तय है।” अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने न केवल समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लिया, बल्कि समाजवाद के मूल विचारों और लोहिया की परंपरा पर भी सवाल उठाए। कार्यक्रम का आयोजन गोरखपुर में हुआ, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, जनप्रतिनिधि और स्थानीय नागरिक मौजूद थे। श्रीराम कथा के अंतिम दिन रामचरित मानस की महिमा, धर्म और संस्कृति के साथ राजनीति का भी गहरा मेल देखने को मिला।
लोहिया ने की थी रामायण मेलों की शुरुआत
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि, “आज के समाजवादी लोहिया के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन लोहिया समाजवादी थे, उन्होंने रामायण मेलों की शुरुआत की थी।” उन्होंने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया ने धर्म और समाज को जोड़ने का काम किया था, लेकिन आज के तथाकथित समाजवादी रामभक्तों पर गोलियां चलवाते हैं। यह बयान उस समय और भी खास बन गया जब मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म और समाज के बीच अगर समन्वय न हो तो न समाज बचता है और न ही संस्कार। उनका इशारा स्पष्ट रूप से अयोध्या आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं की ओर था।

राम विरोधी मारीचि की दुर्गति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “राम को भजते हुए हनुमान जी लोकपूज्य बन गए। लेकिन राम का विरोध करने वाले मारीचि की क्या गति हुई? उसकी दुर्गति हो गई।” इस के जरिए मुख्यमंत्री ने यह संदेश देने की कोशिश की कि समाज में वही टिकता है जो धर्म के मार्ग पर चलता है और जो राम का विरोध करता है, उसका अंत अच्छा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि “जब व्यक्ति के आचार और विचार में समन्वय नहीं होता, तो उसकी दुर्गति तय है।”
धर्म और राजनीति का मिलन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने वक्तव्य में धर्म और राष्ट्र को एक-दूसरे का पूरक बताया। उन्होंने कहा कि राम भारतीय संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा हैं। जो भी राम के पथ पर चलेगा, उसका कल्याण निश्चित है। लेकिन जो राम का विरोध करेगा, उसे समाज नकार देगा। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान जय श्रीराम के नारों के साथ जोरदार समर्थन भी व्यक्त किया। इस अवसर पर रामकथा वाचकों ने भी श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रसंग सुनाकर भाव-विभोर माहौल बना दिया।
राम बनाम विरोध की सियासत?
CM योगी का यह भाषण न केवल धार्मिक मंच पर दिया गया एक संबोधन था, बल्कि उसमें राजनीतिक संकेत भी गहरे थे। समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ राम और लोहिया का प्रयोग कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में धर्म और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अभी भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह बयान सिर्फ रामकथा के भावनात्मक माहौल में दिया गया वक्तव्य था, या फिर 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी का एक हिस्सा? आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज होने की संभावना है।