बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, जारी रहेगी SIR की प्रक्रिया

बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 10 जुलाईको हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस प्रक्रिया में फिलहाल हस्तक्षेप नहीं करेगा।

Dilip Mishra
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बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 10 जुलाईको हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस प्रक्रिया में फिलहाल हस्तक्षेप नहीं करेगा। यानी चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के सत्यापन का काम पूर्ववत जारी रहेगा।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति और दलीलें

इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया कि SIR की प्रक्रिया संविधान की भावना के खिलाफ है और इसके जरिए लाखों गरीब, प्रवासी, दलित, पिछड़े और मुस्लिम मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाने की आशंका है। याचिकाकर्ताओं ने इसे “राजनीति से प्रेरित कार्रवाई” करार देते हुए इसे रोकने की मांग की थी। याचिकाओं में यह भी कहा गया कि बिहार के लाखों प्रवासी श्रमिक राज्य से बाहर रहते हैं, ऐसे में वे दस्तावेजों की कमी या शारीरिक रूप से उपस्थित न हो पाने के कारण सूची से बाहर हो सकते हैं। इससे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

चुनाव आयोग का पक्ष: पारदर्शिता के लिए जरूरी

वहीं, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले ही साफ कर दिया था कि SIR प्रक्रिया का मकसद मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाना है। उन्होंने कहा था-लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए शुद्ध मतदाता सूची अनिवार्य है। भारत का चुनाव आयोग मतदाताओं के साथ था, है और हमेशा रहेगा। चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में अब तक 57% फॉर्मों का सफलतापूर्वक संग्रह हो चुका है और अभी 16 दिन का समय शेष है। आयोग ने कहा कि हर नागरिक को सूची में अपना नाम जोड़ने या सत्यापित करवाने का पूरा अवसर दिया गया है।

सियासत तेज, विरोध जारी

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों – खासकर राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने इसे गरीब विरोधी और जनविरोधी कार्रवाई बताते हुए प्रदर्शन तेज करने का ऐलान किया है। विपक्ष का आरोप है कि एनडीए सरकार चुनाव आयोग के जरिए एक राजनीतिक साजिश को अंजाम दे रही है, ताकि लाखों अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग के लोगों का नाम मतदाता सूची से काटा जा सके। तेजस्वी यादव ने पहले ही चुनाव आयोग को “गोदी आयोग” करार देते हुए कहा था कि यह पूरी कवायद एनडीए की हार के डर से की जा रही है।

देखना होगा आगे क्या?

अब जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है, तो चुनाव आयोग बिना किसी बाधा के SIR प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेगा। हालांकि, याचिकाकर्ता और विपक्ष अब इस मुद्दे पर व्यापक जन जागरूकता और सड़कों पर आंदोलन की तैयारी में हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे ने बिहार चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक रंग ले लिया है और आने वाले हफ्तों में यह बहस और तेज हो सकती है।