अर्जुन राठौर
इंदौर के मोती बंगला परिसर में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग का कार्यालय है इस विभाग द्वारा ग्राम असरावद बुजुर्ग में एक पुलिया का निर्माण कराया गया था बाद में पता चला की पुलिया में घटिया मटेरियल इस्तेमाल हुआ और पुलिया कुछ दिनों बाद ही गिर गई इस पूरे मामले को लेकर हल्ला मचा और एक जांच कमेटी बैठाई गई जिसमें सहायक यंत्री से लेकर अन्य कई अधिकारियों की जिम्मेदारी सामने आई लेकिन कुछ ही दिनों बाद इस पूरे घोटाले को दबा दिया गया ।
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बताया जाता है कि पुलिया का निर्माण 96 लाख रुपए की लागत से किया गया था अब सवाल इस बात का उठता है कि शासन को इतनी बड़ी चपत देने के बाद दोषी अधिकारी जांच से कैसे बच गए ? जाहिर है कि ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के उच्च अधिकारियों से सांठगांठ करके इस पूरे मामले को दबाया गया है यदि इस घोटाले की फाइल खोली जाए तो पता चलेगा कि बड़े पैमाने पर पुलिया के निर्माण में भ्रष्टाचार किया गया है ठेकेदार के साथ अधिकारियों ने सांठगांठ की और घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया और इसी का नतीजा है कि कुछ ही समय बाद पुलिया गिर गई इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने रोष जताया था लेकिन ग्रामीणों की आपत्तियों के बावजूद विभाग द्वारा दोषी ठेकेदार तथा अधिकारियों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया जाना साबित करता है कि विभाग भी इस तरह के भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन दे रहा है ।
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