ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की पदवी से दिया इस्तीफा! 24 जनवरी को ही ली थी संन्यास की दीक्षा

ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े ने 24 जनवरी को संन्यास की दीक्षा दी और उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर एक सार्वजनिक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उनका पट्टाभिषेक किया गया और चादर पेशी की रस्म पूरी की गई।

फिल्म इंडस्ट्री से साध्वी बनी ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की पदवी छोड़ दी है। उन्होंने पदवी मिलने और पट्टाभिषेक के महज 18 दिन बाद इस्तीफा दिया और इसके लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और अर्धनारीश्वर धाम की प्रमुख हिमांगी सखी को जिम्मेदार ठहराया है।

ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि वह लगातार हो रही आलोचनाओं और आरोपों से आहत होकर महामंडलेश्वर की पदवी से इस्तीफा दे रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पदवी देने के लिए उनसे दो लाख रुपये की मांग की गई थी। ममता ने दावा किया कि किन्नर अखाड़े में पैसे लेकर महामंडलेश्वर बनाए जा रहे हैं, और उनसे भी यह रकम मांगी गई थी।

25 साल पहले ले चुकी थीं दीक्षा

ममता कुलकर्णी ने यह भी कहा कि फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद उन्होंने 25 साल पहले दीक्षा ले ली थी और तब से सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का काम कर रही थीं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनके महामंडलेश्वर बनने से कुछ लोगों को क्यों परेशानी हो रही है, जबकि वह लंबे समय से साध्वी के रूप में सक्रिय थीं।

24 जनवरी को मिली थी संन्यास की दीक्षा

ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की पदवी से दिया इस्तीफा! 24 जनवरी को ही ली थी संन्यास की दीक्षा

ममता कुलकर्णी को 24 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में किन्नर अखाड़े द्वारा संन्यास की दीक्षा दी गई थी और महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। इस समारोह में उनका पट्टाभिषेक किया गया था, लेकिन उनके महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया था। कई संतों ने इसका विरोध किया और सवाल उठाए थे।

ममता कुलकर्णी का किन्नर अखाड़ा छोड़ने पर सस्पेंस

हालांकि, ममता कुलकर्णी ने अपने वीडियो संदेश में यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने किन्नर अखाड़ा भी छोड़ दिया है या नहीं। इस बीच, उनकी पुरानी ज़िन्दगी और उनके खिलाफ उठाए गए आरोपों ने भी विवाद को और बढ़ा दिया। अखाड़ा परिषद ने ममता कुलकर्णी और किन्नर अखाड़े का बचाव किया था, जबकि कुछ संतों ने इस मामले में जांच की मांग की थी।