मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने सरकार की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं का मुद्दा उठाया। सिंघार का कहना है कि आयोग को छात्रों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में उनकी समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है।
पारदर्शिता के लिए इंटरव्यू में रिकॉर्डिंग की मांग
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने MPPSC की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि परीक्षाएं समय पर आयोजित नहीं होती हैं, जिससे छात्रों का भविष्य अनिश्चितता में फंसा रहता है। उन्होंने इंटरव्यू प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिकॉर्डिंग की आवश्यकता पर जोर दिया। सिंघार ने पूछा, “पारदर्शिता क्यों नहीं सुनिश्चित की जा रही है?”
सरकार पर बच्चों के साथ भेदभाव का आरोप
उमंग सिंघार ने कहा कि MPPSC की परीक्षाओं में तीन से चार लाख छात्र शामिल होते हैं, लेकिन परीक्षाएं समय पर आयोजित नहीं की जाती हैं। छात्रों को उनकी उत्तरपुस्तिकाएं देखने का अधिकार नहीं दिया जाता, जिससे पारदर्शिता का अभाव है। उन्होंने सरकार पर बच्चों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। छात्रों को उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दिखाकर यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि उन्हें कितने अंक मिले हैं।
चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग
उमंग सिंघार ने कहा कि एमपीपीएससी की इन खामियों को सरकार लगातार अनदेखा कर रही है। छात्रों के भविष्य से हो रहे इस खिलवाड़ के लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार होगा? सरकार को जल्द ही इसका समाधान ढूंढना चाहिए। छात्रों की मांगों को स्वीकार किया जाना चाहिए, चयन प्रक्रिया में सुधार किया जाना चाहिए और परीक्षा के आयोजन समय को लेकर सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, इंटरव्यू प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को तकनीकी साधनों का उपयोग करना चाहिए।