कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ‘पांचजन्य’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने वक्फ विधेयक से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया और इस विधेयक को पेश किया, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
बैठकों का सिलसिला जारी, फील्ड विजिट भी की गईं
उन्होंने कहा, “जब विधेयक प्रस्तुत किया गया था, तो यह सुझाव दिया गया था कि इसे समिति के पास भेजा जाए, और इसलिए जेपीसी का गठन किया गया। अब बैठकें हो रही हैं, फील्ड विजिट भी किए जा चुके हैं, और कार्य अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है। आप यह नहीं कह सकते कि प्रक्रिया में देरी हो रही है।” अर्जुन राम मेघवाल ने यह भी बताया कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते समय सरकार की नीयत स्पष्ट कर दी थी। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। बहुत जल्द संसद में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।”
पूजा स्थल अधिनियम पर अपनी टिप्पणी से किया इनकार
केंद्रीय मंत्री ने ‘न्यायालय में विचाराधीन’ पूजा स्थल अधिनियम पर टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट केंद्र से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देता है, तो केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय हित’ में हलफनामा पेश करेगी। जब उनसे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम में कोई बदलाव करने की योजना के बारे में पूछा गया, तो मेघवाल ने कहा, “मैं कानून मंत्री हूं, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, और मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।”
सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ छह याचिकाओं पर कर रही है सुनवाई
उन्होंने कहा, “जो भी फैसला लिया जाएगा, यदि सरकार से हलफनामा या कुछ और मांगा जाएगा, तो यह राष्ट्रहित में किया जाएगा।” 1991 में लागू किया गया पूजा स्थल अधिनियम देश के सभी पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को उसी रूप में बनाए रखने के लिए लाया गया था, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को था, जिसमें अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को विशेष छूट दी गई थी। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई मुख्य याचिका भी शामिल है, जो पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कई प्रावधानों को चुनौती देती है।